साल 2022 की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसे लेकर राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों में लगी हुई है। राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी इस चुनाव में वापसी के ख्वाब देख रही तो वहीं, समाजवादी पार्टी समेत अन्य विपक्षी पार्टियां इस चुनाव में जीत हासिल कर सरकार बनाने के सपने संजो रही।
आरोप-प्रत्यारोप के दौर शुरु हो चुके हैं। इसी बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने यूपी की योगी सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने पर उनकी सरकार कोविड प्रबंधन का ऑडिट करेगी और मौतों के संबंधित डेटा को कथित रुप से छिपाने के लिए अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।
अखिलेश यादव ने बोला हमला
बीते दिन रविवार को अखिलेश यादव ने यह बात कही। उन्होंने राज्य सरकार पर कोविड की मौतों के आंकड़े को छिपाने का आरोप लगाया और दावा किया कि सरकार ने डेटा छिपाया क्योंकि वह लोगों की मदद करना नहीं चाहते थे। उन्होंने कहा, राज्य में विधानसभा चुनाव और सपा सरकार के गठन के बाद, कोविड प्रबंधन का ऑडिट किया जाएगा, और जिन अधिकारियों ने जानकारी छुपाई थी, उन पर कड़ी कार्रवाई होगी।
अखिलेश यादव ने कहा कि जिन अधिकारियों ने अपनी सीमा का उल्लंघन किया था, उनकी सूची तैयार कर ली गई है। कोविड-19 महामारी में एक समय ऐसा भी लगा कि यूपी में सरकार नहीं है। लोगों को उनके तकदीर पर छोड़ दिया गया।
कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी को लेकर उठाए सवाल
सपा प्रमुख ने योगी सरकार को निशाने पर लेते हुए आगे कहा, सरकार ने कोरोना से हुए मौतों से संबंधित आंकड़े नहीं दिए, न ही उन्हें (पीड़ितों) कोई मदद दी गई। साथ ही कोरोना काल में प्रदेश में दवाओं की कालाबाजारी, ऑक्सीजन और बेड्स की कमी समेत तमाम मुद्दों पर उन्होंने बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया।
कोविड से शिक्षकों की मौत को लेकर उठाए सवाल
अखिलेश यादव ने कहा, कई लोगों की जान चली गई। अगर इसके लिए कोई जिम्मेदार है तो वह बीजेपी सरकार है। उन्होंने पंचायत चुनाव के दौरान कोविड के कारण मौत का आगोश में समाए शिक्षकों पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘जब शिक्षक ड्यूटी पर गए, तो यह कहा गया कि केवल तीन शिक्षकों की मृत्यु हुई। बाद में, जब संगठनों और हमने सवाल उठाए, तो सरकार को यह स्वीकार करना पड़ा कि वास्तव में कितने लोगों की जान गई।‘
बताते चले कि कोरोना काल में पंचायत चुनाव में यूपी में शिक्षकों को ड्यूटी पर लगाया गया था। राज्य सरकार की आंकड़ों में उस चुनाव में कोरोना के कारण 3 शिक्षकों की मौत होने का दावा किया गया।
लेकिन उसके बाद एक शिक्षक निकाय ने दावा किया था कि कोविड के कारण अप्रैल के पहले सप्ताह में यूपी में बेसिक शिक्षा विभाग के 1600 से अधिक शिक्षक और कर्मचारियों की मौत हो गई है। जिनमें से 90 फीसदी शिक्षक पंचायत चुनाव में ड्यूटी पर थे। इस मामले को लेकर लगातार सवाल भी उठ रहे हैं।