Sadhguru Jaggi Vasudev News: प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव और उनके ईशा फाउंडेशन पर गंभीर आरोप लगे हैं। हाल ही में सामने आई आंतरिक ईमेल्स से खुलासा हुआ है कि आश्रम में नाबालिग लड़कियों को ब्रह्मचर्य दीक्षा के दौरान ऊपरी वस्त्र हटाने के लिए मजबूर किया जाता था। इस मामले से जुड़े दस्तावेजों के मुताबिक, यह प्रक्रिया गुप्त रूप से संचालित की जाती थी, और इसे छिपाने के लिए सख्त निर्देश दिए गए थे।
गोपनीय ईमेल्स में बड़ा खुलासा- Sadhguru Jaggi Vasudev News
Shyam Meera Singh ने अपने यूट्यूब चैनल पर इस मामले से जुड़ी सारी जानकारी शेयर करते हुए बताया कि 16 मई 2017 को ईशा फाउंडेशन की वरिष्ठ सदस्य मां प्रद्युता ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव को एक ईमेल भेजी, जिसमें उन्होंने ब्रह्मचर्य दीक्षा के दौरान बच्चियों से किए जा रहे व्यवहार पर चिंता जताई।
सद्गुरू को भेजे ईमेल में ईशा फाउंडेशन की माँ प्रद्युता सद्गुरू से कह रही हैं कि वे दीक्षा के लिए नाबालिग लड़कियों को बिना कपड़ों के ना बुलाएँ क्योंकि वे कल को बाहर बता सकती हैं। इसपर सद्गुरू लिखते हैं- “Yes to Both”.
भारती वर्दराज के भी ईमेल पढ़ें। भारती सद्गुरू की सबसे क्लोज… pic.twitter.com/6cbQFRK7mf
— Shyam Meera Singh (@ShyamMeeraSingh) February 24, 2025
ईमेल में मां प्रद्युता ने लिखा:
“लड़कियों से कहा जाता है कि वे ऊपरी वस्त्र हटा दें ताकि उनकी रीढ़ पूरी तरह से खुली रहे। मुझे इस पर गंभीर आपत्ति है, क्योंकि ये लड़कियां नाबालिग हैं, और यह उनके लिए असहज है।”
उन्होंने आगे कहा कि:
“यह लड़कियां यहां अपनी इच्छा से नहीं आई हैं, बल्कि उनके माता-पिता ने उन्हें भेजा है। माता-पिता इस प्रक्रिया के बारे में पूरी तरह से अनजान हैं, और यह भविष्य में गंभीर विवाद खड़ा कर सकता है।”
इस ईमेल का जवाब देते हुए सद्गुरु ने केवल ‘Yes to both’ लिखा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह इस प्रक्रिया से पूरी तरह अवगत थे, लेकिन इसे रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की।
भारती वर्धराज और मां प्रद्युता की भूमिका
इस पूरे मामले में भारती वर्धराज और मां प्रद्युता का नाम प्रमुखता से सामने आया है।
– भारती वर्धराज कई वर्षों से ईशा फाउंडेशन से जुड़ी हुई हैं और इस संस्था की विभिन्न कंपनियों में डायरेक्टर के रूप में काम कर चुकी हैं।
– मां प्रद्युता ईशा एजुकेशन ट्रस्ट की ट्रस्टी थीं और फाउंडेशन के कार्यों से गहराई से जुड़ी हुई थीं।
जब मां प्रद्युता ने इस मामले पर भारती से चर्चा की, तो भारती ने ईमेल के जरिए जवाब दिया:
> “मुझे यह जानकारी नहीं थी कि नाबालिग लड़कियों को ब्रह्मचर्य दीक्षा के दौरान बिना कपड़ों के प्रवेश करने के लिए कहा जाता है। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।”
पहले भी लग चुके हैं ईशा फाउंडेशन पर गंभीर आरोप
यह पहला मौका नहीं है जब ईशा फाउंडेशन विवादों में घिरा हो।
– सितंबर 2024: कोयंबटूर पुलिस ने ईशा फाउंडेशन के एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया, जिस पर 12 आदिवासी बच्चियों के यौन शोषण का आरोप था।
– अक्टूबर 2024: पूर्व शिक्षिका यामिनी रगिनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि उनके बेटे का भी वहां शोषण हुआ था, लेकिन जब उन्होंने शिकायत की, तो सद्गुरु ने इसे ‘मानसिक समस्या’ कहकर टाल दिया।
– 2008 में, अमेरिका में रहने वाली भारतीय मूल की लड़की ‘रेखा’ (बदला गया नाम) ने आरोप लगाया कि ईशा होम स्कूल के PT टीचर ने उसका बार-बार यौन शोषण किया। जब रेखा ने यह बात सद्गुरु को बताई, तो उन्होंने बस इतना कहा:
> “Drop it at my feet and I’ll take care of it” यानी “इसे मेरे चरणों में छोड़ दो, मैं देख लूंगा।”
क्या कहता है कानून?
Protection of Children from Sexual Offences (POCSO) Act, 2012 के अनुसार:
– धारा 11: किसी भी नाबालिग को कपड़े उतारने के लिए मजबूर करना यौन उत्पीड़न माना जाता है।
– धारा 19: इस तरह की घटना की जानकारी रखने वाले किसी भी व्यक्ति को पुलिस को सूचित करना अनिवार्य है।
– धारा 21: यदि कोई व्यक्ति इसे रिपोर्ट करने में विफल रहता है, तो उसे एक साल की जेल हो सकती है।
क्या सरकार करेगी निष्पक्ष जांच?
अब सवाल उठता है कि तमिलनाडु सरकार या केंद्र सरकार इस मामले की निष्पक्ष जांच करेगी या नहीं? अब तक, सद्गुरु के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है।
पीड़िताओं को न्याय मिलेगा या नहीं, यह जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर निर्भर करता है। क्या सरकारें इस मामले को दबा देंगी, या अपराधियों को सज़ा मिलेगी?