Rule for Mask in Court: भारत समेत दुनिया के लगभग सभी देशों में विभिन्न पेशों के लिए ड्रेस कोड तय किया गया है। वकीलों के लिए काला कोट, डॉक्टरों के लिए सफेद कोट और पुलिस के लिए खाकी वर्दी जैसे ड्रेस कोड पेशे की पहचान माने जाते हैं। लेकिन सवाल उठता है कि क्या कोई महिला वकील अपने धर्म का हवाला देकर कोर्ट में नकाब पहनकर पेश हो सकती है? हाल ही में जम्मू-कश्मीर में एक ऐसा ही मामला सामने आया, जिसने इस विषय पर बहस छेड़ दी है। आइए, इस मामले और इससे जुड़े नियमों को विस्तार से समझते हैं।
वकीलों का ड्रेस कोड: बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम- Rule for Mask in Court
भारतीय न्यायिक प्रणाली में वकीलों के लिए ड्रेस कोड (Dress Code for Lawyers) तय है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने अधिवक्ताओं के लिए निर्धारित ड्रेस कोड को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है, जिसे अध्याय IV (भाग VI) में शामिल किया गया है।
महिला वकीलों के लिए ड्रेस कोड:
1.सफेद कॉलर और सफेद बैंड के साथ काली पूरी आस्तीन वाली जैकेट या ब्लाउज।
2.वैकल्पिक रूप से, कॉलर के साथ या बिना सफेद ब्लाउज को सफेद बैंड और काले खुले ब्रेस्टेड कोट के साथ पहना जा सकता है।
3.साड़ी, लंबी स्कर्ट (सफेद, काला या हल्के रंग), बिना प्रिंट वाली ड्रेस, चूड़ीदार-कुर्ता, या सलवार-कुर्ता भी स्वीकार्य हैं।
4.परिधान के साथ काला कोट और बैंड होना अनिवार्य है।
5.सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में पेश होने के लिए गाउन पहनना वैकल्पिक है, लेकिन अन्य अदालतों में गर्मियों के दौरान काले कोट की अनिवार्यता नहीं है।
इन नियमों में कहीं भी नकाब या हिजाब पहनने की अनुमति का जिक्र नहीं है।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का मामला
हाल ही में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट में एक मामला सामने आया, जहां एक महिला वकील ने वकील की ड्रेस तो पहनी, लेकिन चेहरा ढका हुआ था। न्यायमूर्ति राहुल भारती ने पहचान सुनिश्चित करने के लिए महिला वकील से नकाब हटाने को कहा, लेकिन महिला ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
अदालत का फैसला:
हाई कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि महिला वकील चेहरा ढककर पेश नहीं हो सकतीं। अदालत ने यह भी कहा कि यह फैसला ड्रेस कोड के नियमों के अनुसार लिया गया है, जो पेशे की गरिमा और पहचान बनाए रखने के लिए जरूरी है।
नकाब पहनने पर क्यों रोक?
नकाब पहनने का मामला न्यायालय की कार्यवाही के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि कोर्ट में वकील की पहचान स्पष्ट होना जरूरी है। वकीलों के लिए ड्रेस कोड उनकी पेशेवर पहचान का हिस्सा है, जिसे तोड़ा नहीं जा सकता। चेहरा ढका होने से न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठ सकते हैं।
ड्रेस कोड का सांस्कृतिक और धार्मिक संदर्भ
हालांकि ड्रेस कोड पेशे की गरिमा और पहचान के लिए बनाए गए हैं, लेकिन यह भी जरूरी है कि वे किसी व्यक्ति की धार्मिक या सांस्कृतिक मान्यताओं का सम्मान करें। ऐसे मामलों में संतुलन बनाए रखना अदालतों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।