RSS vs BJP की लड़ाई में घी डालकर अपना हाथ क्यों सेंक रहे हैं अरविंद केजरीवाल? इससे AAP का फायदा होगा या नुकसान

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भाजपा को RSS ने बनाया…नरेंद्र मोदी को RSS ने बनाया…देश में 2014 में भाजपा की सरकार बनाने में RSS का योगदान काफी ज्यादा रहा…2019 तक सरकार में और भाजपा में RSS का हस्तक्षेप प्रत्यक्ष तौर पर देखने को मिला लेकिन 2019 के बाद मोदी की महामानव वाली छवि के प्रचार ने काफी कुछ बदल कर रख दिया…मोदी का कद बढ़ता जा रहा था और पार्टी से RSS का असर समाप्त होता जा रहा था…लोकसभा चुनाव 2024 आते आते भाजपा में RSS का हस्तक्षेप न के बराबर हो गया…यही कारण था कि जो RSS चुनाव से काफी पहले ही जमीनी स्थिति को जानने समझने के लिए अपनी तैयारियों में जुट जाती थी…2024 के चुनाव से पहले RSS की ओर से ऐसे कोई कदम नहीं उठाए गए और लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा का हश्र क्या हुआ, यह आप भलि भांति जानते हैं.

भाजपा और RSS के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं, जिसे नकारा नहीं जा सकता है…अब इन्हीं मुद्दों को अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक करते हुए मोहन भागवत से सवाल पूछ लिए हैं….ऐसे में सवाल उठते हैं कि आखिर भाजपा और RSS के बीच क्या मतभेद हैं? मोहन भागवत पिछले लंबे समय से मोदी सरकार पर क्यों हमलावर हैं? अरविंद केजरीवाल RSS से क्यों गुहार लगा रहे हैं…इससे उनका क्या फायदा होगा?

केजरीवाल के सवाल से बढ़ जाएगी BJP vs RSS की खाई ?

दरअसल, अरविंद केजरीवाल इस समय जमानत पर बाहर हैं और चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं..इसी दौरान उन्होंने सीधे तौर पर RSS प्रमुख मोहन भागवत से ऐसे समय पर सवाल पूछ लिए है, जब संघ और भाजपा के बीच संबंधों में कड़वाहट की खबरें सामने आ रही है. भागवत ने बीते दिनों ऐसे कई बयान दिए, जिसके बाद ये कहा गया कि भागवत पीएम मोदी को निशाने पर ले रहे हैं. हालांकि भागवत ने अपने बयानों में पीएम मोदी का नाम नहीं लिया था.

अब केजरीवाल ने मोहन  भागवत से सवाल करते हुए पूछा है कि –

  • जिस तरह से मोदी जी देशभर में लालच देकर ईडी और सीबीआई की धमकी देकर दूसरी पार्टी के नेताओं को तोड़ रहे हैं, ये भारत के लोकतंत्र के लिए सही है या हानिकारक है?
  • जिन नेताओं को मोदी-शाह ने भ्रष्टाचारी कहा, उनको बीजेपी में शामिल कर लिया गया. क्या मोहन भागवत जी ने ऐसी राजनीति की कल्पना की थी?
  • बीजेपी RSS की कोख से पैदा हुई थी तो यह देखना RSS की ज़िम्मेदारी है कि बीजेपी पथभ्रष्ट ना हो. मोहन भागवत जी बताएं कि क्या आपने मोदी जो को ये सब करने से रोका?
  • जेपी नड्डा जी ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा कि बीजेपी को अब RSS की ज़रूरत नहीं है. RSS बीजेपी की मां समान है तो क्या बेटा इतना बड़ा हो गया है कि मां को आंख दिखाने लगा. जब नड्डा जी ने ये कहा तो आपके दिल पर क्या गुज़री? क्या आपको दुख नहीं हुआ?
  • अमित शाह जी कह रहे हैं कि 75 साल में रिटायर होने वाला नियम नियम मोदी जी पर लागू नहीं होगा. मोहन भागवत जी से पूछना चाहता हूं कि जो नियम आडवाणी जी और अन्य कई नेताओं पर लागू हुआ वो मोदी जी पर लागू नहीं होगा?

ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो  अंदरखाने काफी लंबे समय से चल रहे हैं..जिसे केजरीवाल ने सार्वजनिक कर दिया है….इससे पहले भी केजरीवाल के कई बयानों ने भाजपा और RSS की मुश्किलें बढ़ाई है…इसके पहले मई 2024 में जेल से बाहर निकलते ही केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ को सीएम पद से हटा दिया जाएगा…वहीं, एक चुनावी रैली में उन्होंने ये भी कहा था कि अगले साल पीएम मोदी 75 साल के हो रहे हैं. 2014 में पीएम मोदी ने ख़ुद नियम बनाया था कि जो 75 साल का हो जाएगा, उसे रिटायर कर दिया जाएगा.

केजरीवाल के इस बयान का तब ये असर हुआ था कि अमित शाह को 75 की उम्र में रिटायरमेंट वाली बात पर सफाई देनी पड़ी थी. लेकिन तब भी योगी आदित्यनाथ को लेकर केजरीवाल ने जो दावा किया था, भाजपा की ओर से उसका खंडन नहीं किया गया. ध्यान देने वाली बात है कि सीएम योगी RSS के करीबी हैं, और संघ के एजेंडे में एकदम फीट बैठते हैं. जानकारों के मुताबिक यही कारण है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व यानी मोदी-शाह और नड्डा की तिकड़ी इन्हें पसंद नहीं करती…हालांकि, सच्चाई क्या है कोई नहीं जानता.

और पढ़ें: Hamas से लड़ते-लड़ते हिजबुल्लाह पर काल बनकर क्यों टूट पड़ा Israel? जानिए फिलिस्तीन का लेबनान और Hezbollah कनेक्शन

सुर्खियों में रहे मोहन भागवत के ये बयान

अब आपके मन में भी यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर मोदी और शाह की शिकायत मोहन भागवत से अरविंद केजरीवाल क्यों कर रहे हैं…इस सवाल के मायने समझेंगे उससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 के ठीक बाद मोहन भागवत के उन बयानों पर गौर करते हैं, जो सीधे तौर पर मोदी और संघ के बीच खटास को दर्शाता है-

4 जून 2024 को आम  चुनाव के नतीजे सामने आने के कुछ ही दिन बाद मोहन भागवत ने कहा था कि एक सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता और वह गरिमा बनाए रखते हुए लोगों की सेवा करता है. लोकसभा चुनावों को जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रचार के दौरान सदाचार बरकरार नहीं रखा गया.

उन्होंने कहा था जो मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है. गर्व करता है लेकिन अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों में सेवक कहलाने का अधिकारी है. उनके इस बयान को भाजपा के अहंकार पर प्रहार बताया गया था..

वहीं, एक बयान में मोहन भागवत ने कहा कि आत्म-विकास के क्रम में एक मनुष्य सुपरमैन, फिर देवता और भगवान बनना चाहता है और विश्वरूप की आकांक्षा कर सकता है लेकिन यह निश्चित नहीं है कि आगे क्या होगा. उनके इस बयान को भी सीधे तौर पर मोदी पर प्रहार माना गया.

इसके अलावा झारखंड में गैर सरकार संगठन विकास भारती द्वारा आयोजित बैठक में मोहन भागवत ने कहा, लोगों को कभी भी अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए और मानव जाति के कल्याण के लिए लगातार काम करना चाहिए क्योंकि विकास और मानव महत्वाकांक्षा की खोज का कोई अंत नहीं है.

कांग्रेस ने भागवत के इस बयान को हाथों हाथ उठाया और जयराम रमेश ने इसे पीएम मोदी पर निशाना बताया था.

जेपी नड्डा के बयान से मचा था बवाल

वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के ठीक बाद RSS के दिग्गज नेता इंद्रेश कुमार के बयानों ने भी सुर्खियां बटोरी थी. उन्होंने कहा था कि “2024 में राम राज्य का विधान देखिए, जिनमें राम की भक्ति थी और धीरे-धीरे अहंकार आ गया, उन्हें 240 सीटों पर रोक दिया. जिन्होंने राम का विरोध किया, उनमें से राम ने किसी को भी शक्ति नहीं दी, कहा- तुम्हारी अनास्था का यही दंड है कि तुम सफल नहीं हो सकते.”

इन सारे बयानों से निष्कर्ष यही निकलता है कि RSS, भाजपा से खुश नहीं है….RSS का टॉप लीडरशिप भाजपा से खुश नहीं है…वहीं, भाजपा के टॉप लीडर भी RSS को देखना पसंद नहीं करता….इसका उदाहरण उस समय भी देखने को मिला था जब इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने RSS पर टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि “शुरू में हम अक्षम होंगे, थोड़ा कम होंगे. RSS की ज़रूरत पड़ती थी. आज हम बढ़ गए हैं. सक्षम हैं तो बीजेपी अपने-आपको चलाती है.”

उनके इस बयान के बाद संघ में काफी नाराजगी देखने को मिली थी…अजीत पवार जैसे नेताओं को अपने पाले में लाना या फिर दूसरी पार्टी से आए लोगों को तुरंत ही राज्यसभा में भेज देना…जैसे तमाम मुद्दे संघ के नैरेटिव में फिट नहीं बैठते..

संघ और भाजपा के बीच खींचातानी लंबे समय से चल रही है लेकिन अब केजरीवाल ने इस खींचातानी को सार्वजनिक कर दिया है…हरियाणा चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल ने ये सवाल पूछ कर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी है…अब समझते हैं कि आखिर संघ और भाजपा की लड़ाई में केजरीवाल हाथ क्यों सेंक रहे हैं.

इससे केजरीवाल को क्या लाभ होगा?

जिस तरह से विपक्ष के नेता राहुल गांधी संघ  पर चोट करते रहे हैं…अरविंद केजरीवाल की रणनीति उनसे थोड़ी अलग है…केजरीवाल चाहते हैं कि RSS की शुचिता बची रहे….उनके सवाल करने के लहते से ऐसा प्रतीत हुआ कि वो शिकायत कर रहे हैं और शायद अंदर ही अंदर यह भी बताने का प्रयास कर रहे हैं कि भाजपा अगर आपकी बात नहीं मानती है तो हम तो हैं ही….बीबीसी के एक रिपोर्ट में कुछ ऐसा ही दावा किया गया है…

आपने गौर किया होगा कि केजरीवाल पिछले कुछ वर्षों से हिंदुत्व की राजनीति को प्राथमिकता देते आ रहे हैं..दिल्ली में कई जगहों पर सुंदरकांड करवाने की बात हो या तिरंगा लगवाने की बात हो. केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेता ख़ुद को ”कट्टर देशभक्त” की छवि वाला पेश करते रहे हैं. 2021 में केजरीवाल ने एलान किया था कि उनकी सरकार का मकसद ”राम राज्य” लाना है.

अगर अन्ना आंदोलन से देखे तो अन्ना हजारे का संबंध नानाजी देशमुख से बताया गया था..हालांकि, बाद के सालों में केजरीवाल ही अन्ना से दूर हो गए…ऐसे में इस बात की संभावना भी जताई जा रही है कि केजरीवाल दबे स्वर में RSS से खुद पर भरोस बनाने की बात कर रहे हैं. इससे इतर यह भी हो सकता है कि केजरीवाल संघ और भाजपा के बीच चल रही खींचातानी में घी डालने का काम कर रहे हैं….जिससे इनके बीच दूरियां बढ़ती जाए और अन्य पार्टियां इसका राजनीतिक लाभ उठा सके.

और पढ़ें: Online Gaming में 96 लाख का भयंकर नुकसान, जिम्मेदार कौन? सरकार, सेलिब्रिटी या इंफ्लुएंसर्स

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