RPF constable exam cheating case: नोएडा में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के दौरान हाईटेक नकल करने की कोशिश कर रहे दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। ये आरोपी ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए बाहर से प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर रहे थे। पुलिस ने इस गिरोह का पर्दाफाश कर नकल करने की इस आधुनिक तकनीक पर लगाम लगाई है।
कैसे हुआ नकल का भंडाफोड़? (RPF constable exam cheating case)
नोएडा के सेक्टर 58 पुलिस ने सेक्टर 62 स्थित आईडीजेड-2 परीक्षा केंद्र में इस धोखाधड़ी का खुलासा किया। 7 मार्च 2025 को परीक्षा के दौरान कक्ष निरीक्षक छत्रपाल को एक उम्मीदवार, आजाद, की गतिविधियां संदिग्ध लगीं। निरीक्षण के दौरान उसकी बेंच के नीचे एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और उसके कान में ब्लूटूथ ईयरपीस मिला। तुरंत परीक्षा केंद्र के स्टाफ वीके शर्मा, आदित्य चौधरी और आशीष रस्तोगी को सूचित किया गया, जिन्होंने मौके पर डिवाइस को जब्त कर लिया और उम्मीदवार से पूछताछ शुरू की।
कैसे हुई नकल की योजना?
पूछताछ में आरोपी आजाद ने खुलासा किया कि उसके भाई असलम ने परीक्षा पास कराने के लिए मेरठ निवासी राहुल और मुजफ्फरनगर निवासी पंकज से संपर्क किया था। इन दोनों ने बागपत के नगला बड़ी गांव के निवासी सुमित के माध्यम से परीक्षा केंद्र में ब्लूटूथ डिवाइस सेटअप कराने की योजना बनाई थी। सुमित का संपर्क सीधे परीक्षा केंद्र में कार्यरत अर्जुन डागर से था, जिसने अंदर डिवाइस पहुंचाने में मदद की।
यह सौदा कुल 4 लाख रुपये में तय हुआ था, जिसमें से 50 हजार रुपये एडवांस में दिए जा चुके थे। योजना के तहत, परीक्षा केंद्र की 7वीं मंजिल पर स्थित ए-7 लैब के बाथरूम में ब्लूटूथ डिवाइस छिपाकर रखी गई थी, जिसे बाद में परीक्षा हॉल में ले जाया गया और नकल के लिए इस्तेमाल किया गया।
ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए कैसे हो रही थी नकल?
आरोपियों ने परीक्षा हॉल में अपने टेबल के नीचे एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस सेटअप कर रखा था, जिससे ब्लूटूथ ईयरपीस के जरिए बाहर किसी व्यक्ति से उत्तर मांगे जा रहे थे। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि बाहर से उत्तर कौन दे रहा था।
पुलिस कर रही है गहराई से जांच
नोएडा पुलिस इस पूरे नकल गिरोह की जड़ों तक पहुंचने के लिए गहन जांच कर रही है। पुलिस ने बताया कि इस मामले में शामिल अन्य आरोपियों की पहचान कर उन्हें जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा। सेक्टर 58 थाना पुलिस इस रैकेट से जुड़े सभी संभावित लिंक को खंगाल रही है ताकि परीक्षा में नकल कराने वाले नेटवर्क का पूरी तरह से भंडाफोड़ किया जा सके।
शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
यह घटना एक बार फिर से यह सवाल खड़ा करती है कि परीक्षा प्रणाली में किस तरह से टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग किया जा रहा है। नकल के लिए हाईटेक साधनों का इस्तेमाल अब एक संगठित अपराध का रूप लेता जा रहा है, जिसे रोकने के लिए प्रशासन को और कड़े कदम उठाने होंगे।