22 जून 2016 की तारीख थी। पीएम मोदी को अपने पूरे कार्यकाल में पहली बार वो झेलना पड़ा, जिसका कल्पना किसी ने नहीं थी। लखनऊ के भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में एक तरफ वो छात्रों को डिग्रियां बांट रहे थे तो वहीं अचानक छात्रों के बीच से पीएम मोदी वापिस जाओं.. पीएम मोदी मुर्दाबाद..रोहित वेमुला जिंदाबाद के नारे लग रहे थे। ये पहली बार था कि पीएम मोदी को इस तरह से सामने से विरोध झेलना पड़ा हो… अब सवाल ये कि आखिर क्यों पीएम मोदी मुर्दाबाद के नारे लगे थे। और ये रोहित वेमुला कौन है, जिसके जिंदाबाद का नारे ये छात्र लगा रहे थे।
दलित छात्र ने लगा ली थी फांसी
ये कहानी शुरु हुई 17 जनवरी 2016 को..जब हैदराबाद सेंट्रल विश्वविदयालय के होस्टल में एक 26 साल के पीएचडी कर रहे दलित छात्र रोहित चक्रवर्ती वेमुला ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी। इस खुदकुशी की खबर ने हैदराबाद ही नहीं पूरे देश में दलितों के लिए लड़ाई को और हवा दे दी थी।
ये था पूरा मामला…
रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद कई ऐसी कहानी सामने आई जिसने पूरे शासन तंत्र की मिट्टी पलीत कर दी थी। रोहित कॉलेज के दलित छात्रों के लिए बनाई गई अंबेडकर स्टूडेंट असोसेएशिन के एक नेता थे। रिपोर्ट की मानें तो अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन के स्टूडेंट ने मुम्बई बम धमाकों के आरोपी याकूब मेनन की फांसी का विरोध करते हुए धरना प्रदर्शन शुरु कर दिया था। जिसके खिलाफ एबीवीपी ने विरोध किया था। इस कारण दोनों संगठनों में झगड़ा हुआ। मगर ये बात किसी तरह से दबा दी गई, क्योंकि कुछ खास नुकसान किसी को नहीं हुआ था।
केंद्रीय मंत्रियों के हस्तक्षेप से बढ़ा बवाल
लेकिन कुछ दिनों के बाद एबीवीपी के नेता सुशील कुमार ने आरोप लगाया गया अंबेडकर स्टूडेंट असोसेएशिन के 5 छात्रों ने उनके साथ मारपीट की थी। जिसके बाद ये मामला कोर्ट पहुंच गया। इस घटना के सामने आने के बाद हैदराबाद के स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री बंदारु दत्तात्रेय ने स्मृति ईरानी को पत्र लिखकर मामले में तुरंत कार्रवाई करने के लिए कहा। फिर स्मृति ईरानी ने यूनिवर्सिटी के चांसलर को 4 बार चिट्ठी लिखी और पांचों छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा। इन चिट्ठियों का नतीजा ये हुआ कि 17 दिसंबर 2015 को कड़ाके की ठंड में पांचों छात्रों को निलंबित कर दिया गया और उन्हें हॉस्टल से बाहर कर दिया गया।
निलंबन से परेशान थे रोहित
पांचों छात्र यूनिवर्सिटी के एक परिसर में धरना देकर बैठ गए थे। लेकिन 17 जनवरी 2016 के दिन अचानक रोहित वहां से उठकर चला गया। काफी देर वापिस नहीं लौटने पर जब रोहित को ढूंढा गया तो वो अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी पर लटके मिला था। रोहित की सुसाइड लेटर से ये साबित हो रहा था कि वो इस निलंबन से काफी परेशान था।
इस आत्महत्या के बाद पूरे देश में दलित संगठन में रौष भर गया था। रोहित खुद को दलित कहता था, और अंबेडकर की विचारधारा का कट्टर समर्थक था। लेकिन इस विरोध का कारण था दो दो केंद्रीय मंत्री का छात्रों के मामले में हस्तक्षेप। लोगों का कहना था कि दो छात्र संगठन के बीच का मसला यूर्निवर्सिटी अथॉरिटी संभाल लेती लेकिन आखिर ऐसा क्या था कि छात्रों के खिलाफ दो केंद्रीय मंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा था।
स्मृति ईरानी के खिलाफ हालात तो ये हो गए थे वो जहां जाती थीं, वहां उन्हें भारी विरोध झेलना पड़ता था। जिसका नतीजा ये हुआ कि पहली बार केंद्रीय मंत्रीमंडल के बदलाव के वक्त स्मृति ईरानी को पद गंवाना पड़ाना।
रोहित वेमुला का जाति को लेकर भी हंगामा किया गया था, जिसके बाद ये बात सामने आई कि उनकी मां दलित जाति से थी और रोहित की परवरिश दलित बस्ती में दलित विचारधारा के साथ ही हुई थी और वो अंबेडकर की विचारधारा के कट्टर समर्थक थे। इसलिए रोहित वेमुला की जाति पर उठाए गए सवाल बेबुनियाद बताए गए।
ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी छात्र की खुदकुशी को लेकर इतना बड़ा हंगामा हुआ था।