देश में कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccine) को शुरू हुए एक साल भी हो चुका है। अब तक करोड़ों लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। कोरोना से बचाव में वैक्सीन को बड़ा हथियार माना जा रहा है। इसलिए लगातार वैक्सीनेशन को बढ़ावा देनी की कोशिश हो रही है। लेकिन कोरोना की वैक्सीन से आखिर कब तक बॉडी में इम्यूनिटी (Corona Vaccine Immunity) बनी रहती है? इसको लेकर एक बड़ी जानकारी अब सामने आई है।
पता चला है कि 10 में से 3 लोगों में वैक्सीन से बनी इम्यूनिटी का असर 6 महीने बाद ही खत्म हो जाता है। इसको लेकर देश में एक रिसर्च (Research on Corona Vaccine Immunity) की गई, जिसमें ये बात निकलकर सामने आई।
हैदराबाद के AIG हॉस्पिटल और एशियन हेल्थकेयर ने मिलकर वैक्सीन की इम्यूनिटी के असर को लेकर ये रिसर्च की थी। रिसर्च का हिस्सा ऐसे 1,636 लोगों को बनाया गया, वो फुली वैक्सीनेटेड थे यानी उनको कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगी थी।
AIG हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. नागेश्वर रेड्डी के मुताबिक रिसर्च का मकसद वैक्सीन से बनी इम्यूनिटी के असर के बारे में जानना था। साथ ही ये भी पता लगाना था कि किस आबादी को बूस्टर डोज की जरूरत है। उन्होंने बताया कि लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी लेवल की जांच की गई। जिसके अनुसार जिन लोगों में एंटीबॉडी का स्तर 15 AU/ml होगा, उनमें इम्यूनिटी खत्म हो गई। वहीं अनुमान लगाया गया कि जिन लोगों में एंटीबॉडी का स्तर 100 AU/ml होगा, उनमें इम्युनिटी अब भी है। कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर कम से कम 100 AU/ml होना चाहिए। इससे कम वालों को संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है।
रिसर्च में जिन 1,636 लोगों को शामिल किया गया था, उनमें से 93% को कोविशील्ड, 6.2% को कोवैक्सीन और 1% से भी कम स्पूतनिक-वी वैक्सीन लगी थी। इसमें सामने आया है कि करीब 30 फीसदी लोगों में 6 महीने बाद वैक्सीन से बनी इम्युनिटी का स्तर 100 AU/ml से कम था।
डॉ. रेड्डी ने मुताबिक हाइपरटेंशन और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार 40 से ऊपर के लोगों में इम्यूनिटी कमजोर हुई। उन्होंने बताया कि 6 फीसदी ऐसे भी थे जिनमें बिल्कुल भी इम्युनिटी नहीं थी। कुल मिलाकर रिसर्च में ये सामने आया कि बुजुर्गों की तुलना में युवाओं में लंबे समय तक इम्यूनिटी बनी रहती है। वहीं, गंभीर बीमारी से जूझ रहे 40 साल से ज्यादा के लोगों में एंटीबॉडी 6 महीने बाद कम हो जाती है।
डॉ. रेड्डी ने कहा कि कोमोर्बिडिटी वाले यानी गंभीर बीमारियों का शिकार 40 साल से ऊपर के लोगों को 6 महीने बाद बूस्टर डोज लगाई जा सकती है। दूसरी डोज और बूस्टर डोज में 9 महीने का अंतर रखने से 70% आबादी को फायदा हो रहा है, जिनके अंदर 6 महीने बाद भी इम्युनिटी बनी रहती है। उन्होंने ये भी कहा कि भारत के पैमाने पर 30 फीसदी लोग ऐसे हैं जो गंभीर बीमारी का सामना क रहे हैं। उनमें दोनों डोज लेने के 6 महीने बाद एंटीबॉडी कमजोर पड़ रही है। इसलिए उन्हें भी बूस्टर डोज देने पर विचार करना चाहिए।