26 जनवरी को देश का 70वां गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। पूरे देश के लिए ये राष्ट्रीय त्यौहार है। देश की बढ़ती ताकत, भारत की विविधता और उसकी परंपराओं को एक साथ हम 26 जनवरी की परेड में देश सकते हैं। ये भारत के सबसे बड़े लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष होने का सबूत देती है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण परेड हमेशा से अलग होगा। मगर फिर भी इसकी शोभा में कोई कमी नहीं आएगी।
कोरोना की वजह से होंगे ये बदलाव
करीब 8.5 किलोमीटर की परेड को समेटकर 3.5 किलोमीटर कर दिया गया है। विजय चौक से लाल किला जाने वाली परेड इस बार नेशनल स्टेडियम तक ही जाएगी। इतना ही नहीं कोरोना संकट और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के कारण परेड में शामिल होने वाली झांकियों में भी बदलाव किया गया है। झांकियों की शोभा में कोई कमी नहीं आएगी लेकिन इस बार 144 सैनिकों के दस्ते के बजाए केवल 96 सैनिक दस्ते को ही झांकियों में शामिल होने की इजाजत दी गई है।
सैनिकों की संख्या को भी कम कर दिया गया है। जहां एक दस्ते में 12 कॉलम और 12 पंक्तियां होती थी लेकिन इस बार 12 कॉलम में केवल 8 पक्तियों ही होंगी। ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जायेगा। इस कारण परेड में शामिल होने के लिए 25 हजार पास ही जारी किए गए है, ताकि जितना हो सके लोगों की भीड़ कम इकट्ठा हो सके।
बंग्लादेश की सैनिकों की टुकड़ी लेगी परेड में हिस्सा
इस बार गणतंत्र दिवस की परेड बाकियों से अलग होने वाली है, क्योंकि इस बार बंग्लादेश के सैनिक भी होंगे भारतीय परेड का हिस्सा। जी हां, भारत के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करने के लिए बंग्लादेश की सैनिकों की एक टुकड़ी परेड में हिस्सा लेने वाली है। इस मार्चिंग में 96 सैनिक शामिल होकर अपने बीडी 08 राइफल, चीनी टाइप 1817-62 एमएम हमले के हथियार का लाइसेंस वैरियेंट भी लेंगे। सभी सैनिकों, और मेहमानों को मास्क लगाना अनिवार्य किया गया है। सरकार की तरफ से कोशिश की जा रही है कि कोरोना संकट के बीच भी परेड की शोभा में कोई कमी नहीं आए। इसी के साथ आपको बताते चले कि ब्रिटेन के पीएम बॉरिस जॉन्सन गणतंत्र दिवस की परेड के मुख्य अतिथि होंगे।
हालांकि आपको बता दे कि बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कोरोना के नए स्ट्रेन के खतरे को देखते हुए इस बार 26 जनवरी की परेड को कैंसिल करने की सलाह दी थी लेकिन केंद्र सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए परेड को छोटा करने का फैसला किया ताकि देश की गरिमा को कोई ठेस न पहुंचे। अब देखना ये है कि परेड के छोटे होने के बाद इस बार परेड कैसी होती है।