देश में इस वक्त सांसों की जंग छिड़ी हुई है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने देश में तबाही मचाई हुई है। कोरोना मरीजों के फेफड़ों पर असर डाल रहा है, जिसके चलते उनको सांस लेने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है। जिसके चलते देश में ऑक्सीजन को लेकर भी मारामारी हो रही है। बीते कुछ दिनों से लगातार कहीं ना कहीं से ऑक्सीजन की किल्लत हो रही है, जिसके चलते मरीजों की जान पर खतरा बन रहा है।
हाई कोर्ट की केंद्र को फटकार
देश की राजधानी दिल्ली के कई अस्पताल लगातार ऑक्सीजन की कमी की बात कहते नजर आ रहे हैं। बीते दिन ये मामला दिल्ली हाईकोर्ट तक भी पहुंचा, जब दिल्ली के राठी अस्पताल ने बताया कि उनके पास अब बस कुछ ही घंटों की ऑक्सीजन बची है। अस्पताल ने कोर्ट में याचिका लगाई, जिस पर तुरंत ही सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र को जमकर फटकार लगाई।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र हालातों की गंभीरता क्यों नहीं समझ रहा? ऑक्सीजन उधार ले, चुराए या एयरलिफ्ट करें, लेकिन इसे मुहैया कराएं।
ऑक्सीजन को लेकर देश के कई हिस्सों में जो बवाल मचा है, उसको लेकर लगातार यही सवाल उठ रहा है, आखिर क्यों देश में ऑक्सीजन की कमी की समस्या हो रही है? क्या भारत खपत के मुताबिक ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं कर पा रहा? या वजह कुछ और है? आइए इसके बारे में आपको बता देते हैं…
आपको जानकारी के लिए बता दें कि भारत रोजाना क्षमता से ज्यादा ही ऑक्सीजन का उत्पादन करता है। 12 अप्रैल तक के आंकड़े पर गौर करें तो देश में रोजाना 7287 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है।
जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन का होता उत्पादन
पहले जब कोरोना वायरस का संकट देश में नहीं था, तब तक लिक्विड ऑक्सीजन LMO की मांग 700 मीट्रिक टन रोजाना की थीं। वहीं जब देश में कोरोना की पहली लहर बीते साल सामने आई, तो ये बढ़कर 2800 मीट्रिक टन प्रतिदिन पहुंच गई। अब जब देश में दूसरी लहर कहर बरपा रही है, तो मांग बढ़कर 5000 मीट्रिक टन पहुंच गई है। इससे ये साफ पता चलता है कि भले ही मांग बढ़ गई हो, लेकिन फिर भी भारत में मांग से कहीं ज्यादा ऑक्सीजन का उत्पादन रोजाना हो रहा है।
…तो फिर क्यों हो रही ऑक्सीजन की कमी?
भारत में ऑक्सीजन तो मांग के मुताबिक मौजूद है, लेकिन असल समस्या है सिलेंडर या टैंकर की। ट्रांसपोर्ट करने के लिए उतनी संख्या में क्रायोजेनिक टैंकर उपलब्ध नहीं, जिसके चलते इसे पहुंचाना आसान नहीं। देश में फिलहाल सिलेंडर और उसके साथ इस्तेमाल के लिए लगने वाले उपकरण की कमी है, जिसके चलते कई अस्पतालों और मरीजों को ऑक्सीजन की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।
कैसे दूर होगी ये समस्या?
हाल ही में सरकार ने ऐलान किया है कि ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए 50,000 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का आयात किया जाएगा। साथ में औद्योगिक जरूरतों के लिए इस्तेमाल होने वाली ऑक्सीजन सप्लाई में भी कटौती की गई। वहीं रेलवे दूसरे राज्यों में ऑक्सीजन पहुंचाने की कोशिश कर रहा है।