प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से भारत लौट आए हैं। रूस के शहर कज़ान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (16th BRICS Summit) के दौरान पीएम मोदी ने युद्ध के जाल में फंसी दुनिया को शांति का संदेश दिया। पीएम मोदी ने साफ तौर पर दोहराया कि भारत युद्ध का नहीं, बल्कि सिर्फ संवाद और कूटनीति का समर्थक है। इसके अलावा दुनिया में कई मोर्चों पर लड़े जा रहे युद्ध के बीच पीएम मोदी ने कज़ान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति पुतिन (Russian President Vildmir Putin) के साथ ही कई राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात की, लेकिन आकर्षण का केंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) के बीच द्विपक्षीय मुलाकात रही। ऐसे में इस शिखर सम्मेलन से भारत क्या हासिल कर पाया है, इस पर गौर करने की जरूरत है।
दरअसल, 22 और 23 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल हुए। वहां उन्होंने शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। बुधवार, 23 अक्टूबर को जब प्रधानमंत्री मोदी को ब्रिक्स में बोलने का मौका मिला, तो उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवाद के आरोपों का माकूल जवाब दिया। खास बात यह रही कि इस दौरान उनके बगल में बैठे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग चुपचाप सुनते रहे।
मोदी और जिनपिंग आमने-सामने (Prime Minister Narendra Modi vs Chinese President Xi Jinping)
पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक उनकी रूस यात्रा का मुख्य हाईलाइट था। 2020 में गलवान घाटी के बाद दोनों देशों के बीच दुश्मनी थी, लेकिन इस मुलाकात के दौरान भारत और चीन के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने लगी और दोनों बातचीत के लिए सहज हो गए। यह बैठक करीब 50 मिनट तक चली। इस दौरान दोनों नेताओं ने एलएसी पर सैन्य गतिरोध खत्म करने पर बनी सहमति के प्रति सकारात्मक रुख अपनाया।
युद्ध के दौर में एक बार फिर शांति की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने चीन और भारत के बीच मतभेदों और संघर्षों को उचित तरीके से निपटाने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि शांति कभी भी बाधित नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अपने भाषण के दौरान कहा कि समूह संघर्ष के बजाय संचार और कूटनीति का पक्षधर है। इस मंच से उन्होंने आतंकवाद और आतंकवादियों के वित्तपोषण के खिलाफ लड़ाई में एकता का आह्वान किया। प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, हम संघर्ष के बजाय कूटनीति और संचार को चुनते हैं। हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए अधिक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए नए अवसर विकसित करेंगे, जैसा कि हमने कोविड जैसी महामारी का सामना करते समय किया था।
जब पुतिन ने कहा- हमारे रिश्तों को ट्रांसलेटर की जरूरत नहीं
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से रूस और भारत के बीच साझेदारी और मजबूत हुई है। जुलाई में कजाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी शामिल नहीं हुए थे। जब पीएम मोदी और पुतिन कज़ान पहुंचे, तो वे रूसी भाषा में बातचीत कर रहे थे। नेताओं के बयानों का हिंदी और रूसी में अनुवाद करने के लिए अनुवादक उपलब्ध थे, लेकिन पुतिन ने पीएम मोदी से कहा कि भारत-रूस संबंध इतने मजबूत हैं कि उनका मानना है कि आप बिना अनुवादक के भी उनकी बात समझ सकते हैं। पुतिन की इस टिप्पणी पर पीएम मोदी हंस पड़े।
रूस-यूक्रेन युद्ध सुलझाने में भारत बन सकता है शांतिदूत
प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्थिति की पुष्टि की। उन्होंने पुतिन को आश्वासन दिया कि रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष को शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त करने के लिए भारत हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे टकराव के बारे में, हम निकट संपर्क में हैं। हमें लगता है कि मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जाना चाहिए। हम पूरी तरह से शांति और स्थिरता बहाल करने के पक्ष में हैं। भारत हमेशा मानवता को सर्वोपरि रखने का प्रयास करता है और यूक्रेन में संकट को समाप्त करने के लिए आवश्यक किसी भी सहायता की पेशकश करने के लिए तैयार है।
ईरान के राष्ट्रपति पेजेश्कियान से मुलाकात थी अहम
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन (Iran’s President Masoud Pezeshkian) से भी मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान दोनों राष्ट्रपतियों ने भारत की भूमिका और पश्चिम एशिया में शांति की आवश्यकता पर चर्चा की। उन्होंने ईरान और इजरायल के बीच तनाव के बारे में भी बात की। इसके अलावा, राष्ट्रपति पेजेशकियन ने प्रधानमंत्री मोदी के भारत आने के निमंत्रण का स्वागत किया। दोनों राष्ट्रपतियों ने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) और चाबहार बंदरगाह जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग को बेहतर बनाने के तरीकों पर भी चर्चा की।
ब्रिक्स के फ्यूचर पर हुई बात- BRICS Summit 2024
भारत ब्रिक्स को दुनिया में विविधता, बहुलता और संतुलन के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में देखता है। ब्रिक्स की नींव इसके सदस्य देशों की आर्थिक और सामाजिक उन्नति पर आधारित मानी जाती है। आने वाले वर्षों में यह अंतरराष्ट्रीय संगठन व्यापार साझेदारी को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा। ब्रिक्स बैंक न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) का बोलचाल का नाम है। आने वाले वर्षों में ब्रिक्स संगठन ब्रिक्स बैंक को मजबूत करने का प्रयास करेगा। इसी उद्देश्य से ब्रिक्स मुद्रा को मंजूरी देने पर चर्चा की जा रही है।
क्या रहा BRICS का एजेंडा?
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी और अन्य सदस्य देशों ने कज़ान घोषणापत्र को भी मंजूरी दी। इस घोषणापत्र में ब्रिक्स ने वैश्विक व्यवस्था में लचीलापन और जवाबदेही बढ़ाने पर चर्चा की है। साथ ही, इसमें कहा गया है कि विकासशील देशों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। इसके अलावा, यह भी तय किया गया कि कम विकसित देशों, खास तौर पर अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन के देशों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए।