Ratan TATA Will: रतन टाटा, टाटा ग्रुप के प्रसिद्ध चेयरमैन, की वसीयत अब एक बार फिर चर्चा में है। उनके निधन के बाद से उनकी अनुमानित 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के बंटवारे को लेकर काफी चर्चा हो रही है। 9 अक्टूबर 2024 को रतन टाटा का निधन हुआ था, और अब उनकी संपत्ति के बंटवारे के लिए मुंबई हाई कोर्ट में प्रोबेट प्रक्रिया शुरू की गई है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य रतन टाटा की इच्छाओं को कानूनी रूप से लागू करना है, ताकि उनकी संपत्ति का वितरण उनकी वसीयत के अनुसार किया जा सके।
रतन टाटा की वसीयत में क्या है? (Ratan TATA Will)
रतन टाटा की वसीयत में संपत्ति के बंटवारे का तरीका स्पष्ट रूप से उल्लेखित है। उन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा परोपकारी कार्यों के लिए दान कर दिया है। अनुमान के अनुसार, रतन टाटा ने अपनी संपत्ति का करीब 3800 करोड़ रुपये दान में देने का निर्णय लिया है। इनमें टाटा संस की 0.83% हिस्सेदारी भी शामिल है, जो रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) जैसी चैरिटी संस्थाओं को जाएगी। इसके अलावा, उनकी संपत्ति में मुंबई के जुहू में स्थित 13,000 वर्ग फुट का दो मंजिला घर, अलीबाग में समुद्र किनारे का बंगला और 350 करोड़ रुपये से अधिक की फिक्स्ड डिपॉजिट्स शामिल हैं, जो सभी परोपकारी कार्यों के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे।
परिवार और करीबी लोगों को क्या मिलेगा?
रतन टाटा ने अपनी संपत्ति के कुछ हिस्से अपने परिवार और करीबी सहयोगियों को भी दिये हैं। उनके छोटे भाई जिम टाटा को जुहू बंगले का एक हिस्सा मिला है। जिम की शादी नहीं हुई है और उनके कोई बच्चे नहीं हैं, इसलिए उनकी हिस्सेदारी सीमित है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है। रतन टाटा की सौतेली बहनों, शिरीन और डीनना जेजीभॉय को अपनी अन्य वित्तीय संपत्तियों का एक तिहाई हिस्सा मिला है, जिसमें बैंक एफडी, वित्तीय साधन, घड़ियाँ, पेंटिंग्स आदि शामिल हैं, जिनकी कुल वैल्यू लगभग 800 करोड़ रुपये है।
रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को भी वसीयत में हिस्सा मिला है। नोएल टाटा टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन हैं। इसके अलावा, टाटा समूह के पूर्व कर्मचारी मोहिनी एम दत्ता को भी वसीयत में एक तिहाई हिस्सा दिया गया है, क्योंकि वे रतन टाटा की करीबी थी।
रतन टाटा के करीबी सहयोगी को क्या मिला?
रतन टाटा के सबसे करीबी सहयोगी और मित्र शांतनु नायडू को भी वसीयत में हिस्सा मिला है। शांतनु नायडू, जो टाटा ट्रस्ट्स में डिप्टी जनरल मैनेजर रहे हैं और रतन टाटा के निजी सहायक भी रहे हैं, उन्हें स्टार्टअप “गुडफेलोज” में टाटा की हिस्सेदारी मिली है। इसके अलावा, उनका एजुकेशन लोन माफ कर दिया गया है।
नौकरों और पालतू जानवरों के लिए भी प्रावधान
रतन टाटा ने अपनी वसीयत में अपने रसोई के नौकर राजन शॉ को भी हिस्सा दिया है। इसके साथ ही, उन्होंने अपने पालतू कुत्ते टीटो की देखभाल के लिए पर्याप्त धनराशि छोड़ी है, ताकि उसकी देखभाल सही तरीके से हो सके। इसके अलावा, रतन टाटा के बटलर सुब्बैया, जो उनके साथ लंबे समय से थे, को भी वसीयत में संपत्ति का कुछ हिस्सा मिला है। यह साबित करता है कि रतन टाटा ने अपनी पूरी ज़िंदगी में न केवल अपने परिवार बल्कि अपने करीबी सहयोगियों और कर्मचारियों के लिए भी अपनी भावनाएँ जताई हैं।
प्रोबेट प्रक्रिया क्या होती है?
प्रोबेट प्रक्रिया एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें मृत व्यक्ति की वसीयत को अदालत में प्रमाणित किया जाता है। इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाता है कि वसीयत वैध है और उसमें दी गई जानकारी के अनुसार संपत्ति का वितरण किया जाएगा। जब संपत्ति का मूल्य बड़ा हो या मामला जटिल हो, तब प्रोबेट प्रक्रिया को हाई कोर्ट या जिला अदालत के माध्यम से पूरा किया जाता है। रतन टाटा की वसीयत का मामला भी इस श्रेणी में आता है, क्योंकि उनकी संपत्ति का मूल्य काफी बड़ा है और इसमें कई जटिलताएँ हैं।