केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों (New Farms Law) के विरोध में आंदोलन को 4 महीने बीत चुके हैं। केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच 22 जनवरी के बाद से ही कोई बातचीत नहीं हुई है। दिल्ली के बॉर्डरों पर किसान डेरा डाले हुए हैं। अभी तक किसान आंदोलन में करीब 300 से ज्यादा किसानों के मौत की खबर सामने आई है।
किसान नेता देश के अलग-अलग राज्यों का दौरा कर रहे हैं और किसान आंदोलन (Farmers Protest) के लिए समर्थन जुटा रहे हैं। इसी बीच किसान आंदोलन के केंद्र बन चुके भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) अपने 2 दिनों के दौरे पर बीजेपी शासित राज्य गुजरात पहुंचे है।
बीते दिन रविवार को उन्होंने उन सभी दावों को नकार दिया जिसमें कहा जा रहा था कि किसान दिल्ली की सीमा पर स्थित प्रदर्शन स्थल छोड़कर चले गए हैं। उन्होंने कहा कि किसान खेतों में काम करने के लिए गए हैं और जब केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल चुनाव से मुक्त हो जाएगी तो वो लौट आएंगे।
‘बंगाल चुनाव में व्यस्त है सरकार’
राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने गुजरात के अंबाजी और पालनपुर में जनसभा को संबोधित तिया। उन्होंने कहा कि कानून व्यापारियों की मदद करने के लिए बनाए गए हैं, किसानों की मदद करने के लिए नहीं। बीकेयू नेता ने स्पष्ट किया कि किसानों ने विरोध स्थलों से तब तक नहीं हटने का फैसला किया है जब तब उनकी जीत नहीं हो जाती और ये तब होगी जब उनकी सभी मांगों को स्वीकार कर लिया जाएगा।
राकेश टिकैत ने कहा कि ‘वो सभी खबरें गलत हैं कि किसानों ने आंदोलन स्थलों को छोड़ दिया है। किसान आते हैं और चले जाते हैं। वर्तमान में वो अपने खेतों में काम करने गए हैं। हमने उनसे कहा है कि सरकार के (पश्चिम) बंगाल चुनाव से मुक्त होने के बाद वो वापस आ जाएं। पूरी सरकार बंगाल में डेरा डाले हुए है। एक बार सरकार वापस आ जाएगी, तो हम उसके साथ बातचीत शुरू करेंगे।‘
गुजरात के किसानों को भी प्रदर्शन में होना चाहिए शामिल
उन्होंने कहा कि गुजरात के किसानों को भी बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन में शामिल होना चाहिए ताकि देश को विश्वास हो कि उस राज्य के किसान भी नए कानूनों के खिलाफ हैं, जहां से बड़े नेता आते हैं। टिकैत ने गुजरात के किसानों को विरोध प्रदर्शन के लिए ट्रैक्टरों का उपयोग करने की सलाह देते हुए कहा कि ये वाहन किसानों के टैंक हैं और दिल्ली में पुलिस बैरिकेड हटाने के लिए इनका अच्छा उपयोग किया गया था।
नवंबर 2020 से आंदोलन कर रहे किसान
बता दें, केंद्र सरकार के कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। आंदोलन में मुख्य तौर पर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी यूपी और राजस्थान के किसान बताए जा रहे हैं। किसान लगातार कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।