केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों का विरोध जोर-शोर से हो रहा है। दिल्ली के बॉर्डरों पर किसान लगभग 4 महीनें से आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे हैं। केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच नए कृषि कानूनों को लेकर कई दौरे की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक किसी भी तरह का कोई समाधान निकल कर सामने नहीं आया है।
किसान नेता अब दिल्ली के अगल-बगल के राज्यों के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी लगातार महापंचायतों को संबोधित कर रहे हैं और केंद्र की बीजेपी सरकार को निशाने पर ले रहे हैं।
इसी बीच किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने बीजू जनता दल (BJD) शासित ओडिशा (Odisha) में महापंचायत को संबोधित किया और साथ ही कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग भी दोहराई। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं होगा।
‘MSP से मिलेगा पूरे देश को फायदा’
बीते दिन शुक्रवार को ओडिशा के जाजपुर जिले के चंडीखोल में एक महापंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने यह बात कही। उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को समर्थन करने का आग्रह किया। उन्होंने राज्य की नवीन पटनायक सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए किसानों का समर्थन करने का आग्रह किया।
महापंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने नए कृषि कानूनों को काला कानून बताया। उन्होंने कहा, ‘मैं ओडिशा के प्रत्येक किसान को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने दिल्ली में चल रहे हमारे आंदोलन में भाग लिया। यह एक बड़ा प्रभाव डालता है।‘
किसान नेता ने स्पष्ट कर दिया है कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान किसी भी परिस्थितियों में MSP के साथ समझौता नहीं करेंगे। राकेश टिकैत ने कहा, MSP से पूरे देश को फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो प्रदर्शनकारी किसान सर्दियों के आने तक अपना आंदोलन जारी रखने के लिए तैयार हैं।
23 जनवरी को हुई थी अंतिम बातचीत
बता दें, आंदोलन कर रहे किसान केंद्र सरकार से लगातार नए कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। किसानों की ओर से स्पष्ट रुप से कहा गया है कि जब तक सरकार इन कानूनों को रद्द नहीं करती वे पीछे नहीं हटेंगे।
दूसरी ओर केंद्र सरकार ने भी स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी सूरत में कृषि कानून वापस नहीं लिए जाएंगे। हालांकि सरकार ने कानूनों में संशोधन की बात कही है। दोनों ही पक्षों के बीच अंतिम बातचीत 23 जनवरी को हुई थी। उसके बाद अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई बातचीत नहीं हुई है।