केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को 5 महीनें से ज्यादा का वक्त बीत गया है। दिल्ली की बॉर्डरों पर किसान लगातार इन कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं और इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसान नेताओं की ओर लगातार देश के कई हिस्सों में महापंचायतों को संबोधित किया जा रहा है और केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने की अपील की जा रही है।
देश में कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में किसान आंदोलन (Farmers Protest) को लेकर तरह-तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने एक बार फिर से केंद्र सरकार से साथ बातचीत करने की बात कही है।
बिना जीते घर नहीं लौटेंगे किसान
बीते दिन गुरुवार को हरियाणा के भिवानी जिले में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा, किसान केंद्र सरकार के साथ तीन विवादित कृषि कानूनों पर बात करने को तैयार हैं लेकिन चर्चा इन कानूनों को रद्द करने को लेकर होगी।
उन्होंने कहा, किसानों को अपना आंदोलन लंबे समय तक जारी रखना है लेकिन वे निश्चित रूप से बिना जीते अपने घर नहीं जाएंगे।
BKU नेता ने कहा, ‘किसान राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर पांच महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं। लड़ाई लंबी चलेगी, कितने महीने चलेगी, कोई नहीं जानता। लेकिन एक चीज़ तय है कि किसान इसे बिना जीते वापस नहीं जाएंगे।‘
मांग पूरी होने तक जारी रहेगा आंदोलन
टिकैत ने कहा कि आंदोलन को पूरे देश का समर्थन मिला, जिनमें व्यापारी, युवा और अन्य वर्ग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार संयुक्त किसान मोर्चा के साथ बातचीत बहाल करना चाहती है तो वे तैयार हैं।
राकेश टिकैत ने आगे कहा कि ‘जब सरकार बातचीत करना चाहेगी, तब संयुक्त किसान मोर्चा बात करेगा। लेकिन अगर सरकार इन कानूनों को 18 महीने के लिए निलंबित करने जैसी चीजों पर अड़ी रही तो कोई बातचीत नहीं होगी। हम दृढ़ हैं कि उन्हें ये कानून वापस लेने होंगे और कोई भी बात इसी बिंदु से शुरू होगी।’ किसान नेता ने स्पष्ट किया कि आंदोलनकारी किसान अपनी मांगे पूरी होने तक शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन जारी रखेंगे।