केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों (Farms law) के विरोध में किसान दिल्ली की बॉर्डरो पर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण (COVID-19) काफी तेजी से बढ़ते जा रहा है। इसके बावजूद किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। तमाम किसान नेता लगातार दूसरे राज्यों में भी सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता और प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा है कि अगर सरकार आमंत्रित करती है तो नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान वार्ता के लिए तैयार हैं।
सरकार को देना चाहिए बातचीत का निमंत्रण
BKU नेता ने स्पष्ट किया कि किसानों की मांगों में कोई बदलाव नहीं होगा और बातचीत वहीं से शुरु होगी जहां से 22 जनवरी को खत्म हुई थी। राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि वार्ता बहाली के लिए सरकार को प्रदर्शनकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा को बातचीत का निमंत्रण देना चाहिए।
दरअसल, बीते दिन रविवार को भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेद्र मलिक ने एक बयान जारी किया। जिसमें राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार के साथ वार्ता वहीं से बहाल होगी जहां 22 जनवरी को खत्म हुई थी। मांग भी वहीं है कि काले कानूनों को निरस्त किया जाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए नया कानून बनाया जाए।
हरियाणा के गृहमंत्री ने की बातचीत शुरु करने की मांग
बता दें, देश में कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। देश में अब हर दिन औसतन डेढ़ लाख से ज्यादा कोरोना के नए मामले आ रहे हैं। ऐसे में किसान आंदोलन को लेकर भी तरह-तरह की खबरें सामने आ रही है।
पिछले दिनों हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि वो कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरु करें क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा लगातार मंडरा रहा है।
अनिल विज ने अपने पत्र में लिखा, ‘हरियाणा में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिये सभी प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन हजारों प्रदर्शनकारी किसानों को लेकर चिंता बनी हुई है, जो हरियाणा की सीमा पर बैठे हैं और मुझे उनको कोरोना से बचाना है।‘