केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन तेज है। पश्चिमी यूपी, हरियाणा और पंजाब में यह आंदोलन जोर-शोर से चल रहा है। नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों की नाराजगी लगातार बढ़ते जा रही है। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान आंदोलन का केंद्र बन चुके राकेश टिकैत के एक बयान ने सनसनी मचा दी है। उनका कहना है कि प्रशासन ने उनकी सभी मांगों को मान लिया है और अब धरना खत्म कर दिल्ली कूच की तैयारी है।
राकेश टिकैत का बयान
दरअसल, हरियाणा के जेजेपी विधायक देवेंद्र बबली के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार का मामला सामने आया था। जिसमें कई किसानों को गिरफ्तार किया गया था। अब किसानों को लोगों के भारी दबाव के कारण छोड़ दिया गया है। किसानों की रिहाई पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, प्रशासन ने हमारी मांगों को मान लिया है, इसलिए हम टोहाना थाना के बाहर चल रहे धरने को ख़त्म कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अब हम दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं।
किसान नेताओं और पुलिस के बीच हुई बैठक में किसानों की रिहाई और सभी केस वापस लेने पर सहमति बनी। जिसके बाद किसानों ने टोहाना थाने के बाहर चल रहे धरने को खत्म करने का फैसला लिया।
राकेश टिकैत ने स्पष्ट रुप से कहा, ‘प्रशासन के साथ हुई मीटिंग में हमारी सभी मांग मान ली गई। एक और किसान जो जेल में बंद हैं, वे भी जल्दी कागजी कार्रवाई के बाद जेल से बाहर आ जाएंगे। इसलिए यह धरना यहीं ख़त्म हो रहा है। आगे उन्होंने कहा कि हम वापस से दिल्ली जाएंगे और वहां चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होंगे।‘
नवंबर 2020 से चल रहा आंदोलन
खबरों के मुताबिक हरियाणा के टोहाना में जेजेपी विधायक देवेंद्र बबली के साथ दुर्व्यवहार मामले में 3 किसानों को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में गिरफ्तार किसानों की रिहाई की मांग को लेकर राकेश टिकैत समेत कई किसान नेता टोहाना पहुंच गए थे। राकेश टिकैत ने गिरफ्तार किसानों की रिहाई की मांग करते हुए कहा छा कि प्रशासन जल्द ही किसानों को रिहा करें, नहीं तो हमें भी गिरफ्तार करे।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के बॉर्डरों पर पिछले 6 महीनें से ज्यादा समय से आंदोलन चल रहा है। नवंबर 2020 से चल रहा यह आंदोलन कई तरह की परेशानियों को झेलते हुए अग्रसर हो चला है। किसान नेता और केंद्र सरकार के बीच पिछले 4 महीनें से आधिकारिक तौर पर कोई बातचीत नहीं हुई है। किसान लगातार सरकार से बातचीत करने की कोशिशों में लगे हैं।