केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों का विरोध जोर-शोर से हो रहा है। 90 दिनों से दिल्ली के बॉर्डरों पर किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं और सरकार से इस कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसान आंदोलन के समर्थन में इन दिनों लगातार देश के कई राज्यों में महापंचायत का आयोजन हो रहा है, जिसे किसान नेता संबोधित कर रहे हैं।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्त राकेश टिकैत इस आंदोलन के केंद्र बने हुए है। वह इस मसले को लेकर लगातार केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसी बीच उन्होंने एक बार फिर से सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा है कि इस बार किसान चालीस लाख ट्रैक्टरों से संसद का घेराव करेंगे।
राकेश टिकैत का पूरा बयान
बीते दिन राजस्थान के सीकर में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। राकेश टिकैत ने कहा, ‘अगर केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया तो इस बार आह्वान संसद घेरने का होगा और वहां चार लाख नहीं चालीस लाख ट्रैक्टर जाएंगे।‘
उन्होंने कहा, किसान इंडिया गेट के पास के पार्कों में जुताई करेगा और फसल भी उगायगा। यह कब होगा इसे लेकर अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है। राकेश टिकैत ने कहा है कि संसद को घेरने की तारीख संयुक्त किसान मोर्चा तय करेगा।
‘बड़ी-बड़ी कंपनियों…को ध्वस्त करेगा किसान’
महापंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘सरकार को किसानों की तरफ से खुली चुनौती है कि सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए और एमएसपी लागू नहीं की तो बड़ी-बड़ी कंपनियों के गोदाम को ध्वस्त करने का काम भी देश का किसान करेगा। इसके लिए संयुक्त मोर्चा जल्द तारीख भी बताएगा।‘
26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा को लेकर राकेश टिकैत ने महापंचायत में प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘26 जनवरी की घटना के मामले में देश के किसानों को बदनाम करने की साजिश की गई…देश के किसानों को तिरंगे से प्यार है, लेकिन इस देश के नेताओं को नहीं।‘
सरकार और किसानों के बीच पिछले 1 महीने से नहीं हुई बातचीत
बता दें, किसान पिछले 3 महीनें से दिल्ली की बॉर्डरों पर आंदोलन कर रहे हैं। किसान केंद्र सरकार से इन कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। किसान नेताओं और सरकार के मंत्रियों के बीच 11 दौरे की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक किसी भी तरह का कोई समाधान निकल कर सामने नहीं आया है।
23 जनवरी के बाद से अभी तक दोनों पक्षों के बीच किसी भी तरह की कोई बातचीत भी नहीं हुई है। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।