केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन जारी है। दिल्ली की बॉर्डरों पर किसान पिछले 6 महीनें से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान नेता और केंद्र सरकार के अधिकारियों के बीच जनवरी के बाद से अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है। जिसे लेकर विपक्षी पार्टियों की ओर से भी लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं।
इसी बीच किसान आंदोलन का केंद्र बन चुके भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने दावा किया है कि बीजेपी का जो हाल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हुआ। वहीं, हाल अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी होगा।
बीजेपी का पंचायत चुनाव से भी बुरा होगा हश्र
बीते दिन गुरुवार को राकेश टिकैत ने यह बात कही। बीजेपी शासित हरियाणा के जींद जिले में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, जो भी पार्टी अपने घोषणा पत्र में तीनों नए कृषि कानूनों को सही ठहराएगी। किसान उसका सूपड़ा साफ करने का काम करेंगे। बीकेयू नेता ने कहा, बीजेपी का उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव से भी बुरा हाल आने वाले विधानसभा चुनाव में होगा। इसके लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने रणनीति तैयार कर ली है।
2024 के बाद किसान नहीं करेंगे आंदोलन
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, ‘हमें विश्वास है कि 2024 के बाद किसान आंदोलन नहीं करेंगे। क्योंकि तब तक तीनों कृषि कानून रद्द हो जाएंगे। इसमें कृषि फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी पर कानून बन जाएगा।‘ उन्होंने कहा, जहां तक आंदोलन की सफलता की बात रही तो किसान सफल होने तक आंदोलन करते रहेंगे।
राकेश टिकैत ने आगे कहा कि हमें चुनाव के दौरान अपनी ताकत दिखानी होगी। क्योंकि उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार चुनाव की तैयारी करेगी, दूसरी तरफ हम सरकार को सबक सिखाने की तैयारी करेंगे।
नवंबर 2020 से आंदोलन कर रहे किसान
बता दें, दिल्ली के बॉर्डरों पर किसान नवंबर 2020 से ही आंदोलन कर रहे हैं। कड़ाके की ठंड, बरसात और कोरोना की दूसरी लहर समेत तमाम परेशानियों को झेलने के बावजूद किसान अभी तक आंदोलन कर रहे हैं। पिछले 26 मई को किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे हुए। किसानों ने इस दिन को काला दिन के रुप में मनाया। तमाम राजनीतिक पार्टियां और नेताओं ने किसानों का समर्थन भी किया।
26 जनवरी को लाला किला पर हुई हिंसा के बाद से किसान नेता और सरकार के बीच आधिकारिक तौर पर कोई बातचीत नहीं हुई है। किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाए और एमएसपी पर कानून बनाया जाए।