नए कृषि कानून को लेकर सरकार और किसानों के बीच विवाद अब तक सुलझा नहीं है। इन कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। 26 नवंबर को किसानों ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोला था और आंदोलन करने के लिए दिल्ली के बॉर्डर पर आकर जम गए थे। तब से लेकर अब तक ये आंदोलन कई उतार चढ़ाव से गुजरा, लेकिन खत्म नहीं हुआ।
किसानों का साफ तौर पर ये कहना है कि वो तब तक इस आंदोलन को खत्म नहीं करेंगे, जब तक सरकार कानूनों को वापस नहीं ले लेती। वहीं विवाद सुलझाने के लिए सरकार और किसानों के बीच भी लंबे वक्त से कोई बातचीत नहीं हुई। 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद से ही बातचीत का सिलसिला अटका हुआ है।
टिकैत ने आंदोलन तेज करने की दी धमकी
इस बीच किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एक बार फिर केंद्र को धमकी देते हुए आंदोलन तेज करने की बात कही है। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा सरकार मान नहीं रही, इलाज करना पड़ेगा।
अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर राकेश टिकैत ने ट्वीट कर लिखा- ‘सरकार मानने को तैयार नहीं है। इलाज तो करना पड़ेगा। ट्रैक्टरों के साथ अपनी तैयारी रखो। जमीन बचाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा।’
इससे एक दिन पहले सरकार पर भड़कते हुए राकेश टिकैत ने कहा था- ‘सरकार अपने दिमाग से इस गलतफहमी को निकाल दें कि किसान वापस चले जाएंगे। किसान तब ही वापस जाएगा, जब हमारी मांगे पूरी होगीं। तीनों कानूनों को रद्द किया जाए, MSP पर कानून बने।’
नहीं निकल रहा विवाद का हल
गौरतलब है कि किसानों और सरकार के बीच इन कानूनों को लेकर तकरार लंबे वक्त से जारी है। कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन हल अब तक कुछ नहीं निकला। जहां किसान अपनी मांगों को लेकर जस के तस बने हुए हैं, तो वहीं सरकार ने भी साफ कर दिया है कि वो इन कानूनों को वापस नहीं लेगी। सरकार की तरफ से स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि कानून वापस नहीं होंगे। हां, लेकिन कानूनों में संशोधन के लिए वो तैयार है।
हालांकि इस पूरे विवाद को सुलझाने के लिए किसानों और सरकारों के बीच आखिरी बार बातचीत 22 जनवरी को हुई थीं। 26 जनवरी रिपब्लिक डे के दिन किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान देश की राजधानी दिल्ली में जो हिंसा हुई, उसके बाद से ही ये बातचीत रूक गई। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक कानूनों पर रोक लगाई हुई है। साथ ही विवाद को सुलझाने के लिए चार सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया है।
बातचीत को तैयार सरकार, लेकिन…
वहीं कुछ दिन पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि सरकार किसानों से बातचीत करने को तैयार है, लेकिन कानून रद्द नहीं होंगे। उन्होंने कहा था कि अगर किसान कानूनों में किसी भी तरह का संशोधन चाहते हैं तो फिर मैं उसका स्वागत करूंगा।
किसानों के इस आंदोलन को 7 महीने का वक्त होने जा रहा है। देखने वाली बात ये होगी कि आखिर कब सरकार और किसानों के बीच जारी ये गतिरोध थमता है और दोनों पक्षों के बीच कब तक विवाद सुलझ पाता है? और किसान अपने घर वापस लौटते हैं?