किसानों के आंदोलन को 9 महीनों से ज्यादा का वक्त हो चुका है। इस आंदोलन में दौरान सबसे चर्चित चेहरा किसान नेता राकेश टिकैत बने हुए है। राकेश टिकैत किसानों का प्रमुख चेहरा बने हुए हैं। वो लगातार इन्हीं कोशिश में जुटे हैं कि सरकार किसानों की मांग को सुनें और नए कृषि कानून को वापस ले। इसके साथ ही वो इस दौरान केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर भी हमलावर हैं।
किसान नेता राकेश टिकैत का बड़ा बयान
मंगलवार को किसान नेता राकेश टिकैत हरियाणा के सिरसा पहुंचे थे। यहां उन्होंने बीजेपी और RSS पर हमला बोलते हुए एक बहुत बड़ा बयान दे दिया। टिकैत ने बीजेपी को सबसे खतरनाक पार्टी तो बताया ही। साथ ही साथ ये बात भी कही कि उत्तर प्रदेश में होने वाले 2022 विधानसभा चुनाव से पहले किसी बड़े हिंदू नेता की हत्या हो सकती है।
किसान सम्मेलन में हिस्सा लेने सिरसा पहुंचे राकेश टिकैत ने बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि इनसे बचकर रहना, ये लोग किसी बड़े हिंदू नेता की हत्या कराकर देश में हिंदू-मुसलमान कर चुनाव जीतना चाहते हैं।
‘देश पर सरकारी तालिबानियों का कब्जा’
किसान नेता आगे बोले कि बीजेपी से खतरनाक और दूसरी कोई पार्टी नहीं। जिन लोगों ने बीजेपी को बनाया, उन नेताओं को ही आज घर में कैद कर रख है। टिकैत ने बीजेपी पर एक और बड़ा हमला बोलते हुए ये भी कहा कि देश पर ‘सरकारी तालिबानियों’ का कब्जा हो गया।
उन्होंने करनाल SDM आयुष सिन्हा, जिन पर किसानों पर लाठीचार्ज करने का आदेश देने का आरोप हैं, उनका RSS से संबंध होने की भी बात कही। राकेश टिकैत ने कहा कि SDM के चाचा RSS में बड़े ओहदे पर है। इन सरकारी तालिबानियों का पहला कमांडर करनाल में मिला। किसान नेता बोले कि अगर वो हमें खालिस्तानी कहेंगे, तो हम उनको तालिबानी कहेंगे।
किसानों की आय दोगुनी करने पर सरकार को घेरा
आगे राकेश टिकैत ने पीएम के साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने वाले बयान को लेकर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पीएम ने जो कहा वो हुआ नहीं। ना तो फसलें डबल रेट पर बिकीं।
इस दौरान उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करते कहा कि देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां कर्ज लेकर माफ करा लेती हैं। फिर वहीं कंपनी सरकारी संस्थानों को खरीद लेती हैं। देश में ये चल क्या रहा है। कोई किसान अगर कर्ज लेकर उसे ना भर पाए तो उसके घर, जमीन को नीलाम कर दिया जाता है। 10 लाख का कर्जा होने पर किसान की 50 लाख की जमीन बेच दी जाती है, ये कैसा कानून है। जहां पर ये नीतियां बनाई जाती हैं, वहां कोई ट्रैक्टर या हल चलाने वाला नहीं।
टिकैत ने आगे हिमाचल के किसानों की बर्बादी का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि हिमाचल में किसान का सेब 20-22 रुपए में बिक रहा है। वहीं बड़े-बड़े गोदाम इसे 100 से 150 रुपए में बेच रहे है। बड़े-बड़े उद्योगपतियों ने हिमाचल में गोदाम बना रखा है। वो सस्ते में सेब खरीद लेते है और उसे जमा करके महंगे रेटों में बेचते हैं। जैसे आसाम में चाय के बागानों के मालिक किसानों को उद्योगपतियों ने बर्बाद किया, वैसे ही अब हिमाचल के किसान बर्बाद होंगे।
किसान आंदोलन 9 महीने से जारी
गौरतलब है कि राकेश टिकैत सरकार पर हमला बोलने का कोई मौका नहीं छोड़ते नजर आ रहे। वो लगातार सरकार पर हमलावर है। वहीं बात अगर किसानों के आंदोलन की करें तो उसको 9 महीने पूरे हो चुके हैं। नवंबर 2020 में किसानों ने नए कृषि कानून के विरोध में अपना आंदोलन शुरू किया था। किसान और सरकार दोनों अपनी-अपनी बातों पर अड़े हुए नजर आ रहे हैं। ना तो सरकार झुकने को तैयार हो रही और ना ही किसान। वहीं 26 जनवरी को हुई हिंसा के दौरान विवाद का समाधान निकालने के लिए दोनों पक्षों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। इस बीच किसानों का आंदोलन अलग अलग वजह से सुर्खियों में बना रहता है। देखने वाली बात तो ये होगी कि आगे आने वाले समय में ये आंदोलन क्या मोड़ लेगा? साथ ही चुनावों पर आंदोलन का क्या प्रभाव पड़ेगा, ये भी आगे आने वाले वक्त में ही पता चलेगा।