कांग्रेस शासित राज्यों में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। पंजाब में पिछले कई महीनों से चला आ रहा आंतरिक कलह नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से लगभग खत्म हो गया है। जिसके बाद अब कांग्रेस शासित छतीसगढ़ और राजस्थान की सियासत में हडकंप मचा हुआ है।
छतीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव और राज्य के सीएम भूपेश बघेल आमने-सामने हैं। वहीं, राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस महासचिव और पंजाब मामलों के प्रभारी अजय माकन ने पिछले दिनों स्पष्ट किया था कि राजस्थान कांग्रेस में सबकुछ ठीक है।
खबरों की मानें तो सचिन पायलट कैबिनेट विस्तार की मांग पर अड़े हुए है। हाल ही में उन्होंने दिल्ली दौरा किया, जहां उन्होंने पार्टी आलाकमान समेत कई बड़े नेताओं से मुलाकात की। जिसके बाद वह वापस जयपुर लौट आए है। सचिन पायलट के जयपुर लौटते ही उनके समर्थक नेताओं के मिलने का सिलसिला शुरु हो गया।
कई नेताओं ने की सचिन पायलट से मुलाकात
बीते दिन मंगलवार को पूरे दिन सचिन पायलट के आवास पर नेताओं का जमावड़ा लगा रहा। पूर्व कैबिनेट मंत्री और पायलट के कट्टर समर्थक माने जाने वाले रमेश मीणा ने भी उनसे मुलाकात की। अचानक दोनों की हुई मुलाकात के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। साथ ही विधायक रामनिवास गावड़िया, वेद सोलंकी, इंद्रराज गुर्जर, राकेश पारीक, दीपेंद्र सिंह शेखावत के पुत्र बालेंदू सिंह समेत कई नेताओं ने सचिन पायलट से उनके आवास पर मुलाकात की।
पायलट गुट को शांत करने में लगी है कांग्रेस
बताते चले कि पिछले साल राजस्थान कांग्रेस में मची कलह के बाद सचिन पायलट और उनके समर्थक नेताओं ने अपनी मांगे कांग्रेस आलाकमान के सामने रखी थी। तब कथित तौर पर उन्हें कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व में अहम पद देने की बात हुई थी। इस घटना को 10 महीने से ज्यादा हो गए लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है।
खबरों की मानें तो राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके गुट के नेताओं को सरकार में भागीदार बनाए जाने को लेकर कांग्रेस नेतृत्व काम कर रही है। आने वाले कुछ ही दिनों में राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। जिसके कारण मौजूदा समय में गहलोत सरकार में काम कर रहे कई मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है।
कांग्रेस के राजस्थान मामलों के प्रभारी अजय माकन ने पिछले दिनों खुद इन बातों को स्पष्ट किया था। माना जा रहा है कि नए कैबिनेट में पायलट गुट के मंत्रियों को जगह देकर आलाकमान पायलट गुट को शांत करने की कोशिश में करेगी।