देश इस वक्त कोरोना महामारी के महासंकट का सामना कर रहा है। कोरोना की सेकेंड वेव ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। जिस स्पीड से मामले बढ़ रहे है, उससे हर कोई परेशान है । साल 2020 में कोरोना के भीषण प्रकोप का सामना भारत ने किया था। लेकिन तब भी इतने केस सामने नहीं आए थे, जितने अब आ रहे हैं।
वैक्सीन पर गरमाई सियासत
देश में जारी कोरोना संकट के बीच वैक्सीनेशन पर भी फोकस किया जा रहा है। सभी सरकारों की यही कोशिश है कि इस वायरस की रफ्तार को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई जाए। लेकिन इस बीच देश में वैक्सीन की कमी का मुद्दा भी हर तरफ छा गया। दरअसल, कई राज्यों में वैक्सीन की किल्लत हो गई है।
लगातार ऐसी खबरें जगहे-जगहे से सामने आ रही हैं कि कमी के चलते कई लोगों को अब कोरोना वैक्सीन नहीं मिल पा रही। जिसको लेकर देश की राजनीति एक बार फिर से गर्मा गई है। अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस मसले को लेकर अपनी राय रखी।
राहुल का पीएम के ‘टीका उत्सव’ पर हमला
राहुल ने एक ट्वीट करते हुए पीएम मोदी के उस बयान पर निशाना साधा, जिसमें उन्होनें पीएम मोदी के ‘टीका उत्सव’ मनाने वाले बयान पर भी निशाना साधा। राहुल ने लिखा- ‘बढ़ते कोरोना संकट में वैक्सीन की कमी एक अतिगंभीर समस्या है, ‘उत्सव’ नहीं… अपने देशवासियों को ख़तरे में डालकर वैक्सीन एक्सपोर्ट क्या सही है? केंद्र सरकार सभी राज्यों को बिना पक्षपात के मदद करे। हम सबको मिलकर इस महामारी को हराना होगा।’
इसके अलावा राहुल गांधी ने केंद्र को एक चिट्ठी भी लिखीं, जिसमें कोरोना वैक्सीन से संबंधित 7 मांगे सरकार के आगे रखी गई। राहुल ने चिट्ठी में ये कहा कि केंद्र ने सही तरीके से लागू नहीं किया, जिसकी वजह से टीकाकरण का प्रयास कमजोर पड़ता हुआ नजर आ रहा है। इस दौरान ये भी कहा गया कि ये बात समझ से बाहर है कि जब देश कोरोना वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है, तो ऐसे में बाहर 6 करोड़ वैक्सीन की सप्लाई क्यों की गई?
राहुल ने चिट्ठी में मांग रखी कि वैक्सीन निर्माताओं की आर्थिक मदद की जाए। इसके अलावा उन्हनें ये भी कहा कि वैक्सीन लगवाने की छूट दी जानी चाहिए और राज्यों को अधिक मात्रा में वैक्सीन की डोज मिलनी चाहिए। साथ में राहुल गांधी ने एक मांग ये भी रखी कि दूसरे देशों में वैक्सीन एक्सपोर्ट पर रोक लगाई जानी चाहिए।
केंद्र-राज्य के बीच बयानबाजी जारी
गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर केंद्र और कुछ राज्यों की सरकारों के बीच बयानबाजी तेज हो गई। महाराष्ट्र सरकार की तरफ से सबसे पहले कोरोना वैक्सीन की कमी का मुद्दा उठाया था। यही नहीं महारष्ट्र सरकार की तरफ से वैक्सीन को लेकर भेदभाव करने का भी आरोप केंद्र पर लगाया गया।
इसके बाद आंध्र, छत्तीसगढ़, झारखंड समेत कई राज्यों की सरकारों ने वैक्सीन की किल्लत की बात कही। वहीं ऐसी खबरें यूपी समेत दूसरे शहरों से सामने आ चुकी है, जहां कुछ वैक्सीनेशन सेंटर्स पर कमी के चलते टीकाकरण रुक गया। वहीं इस पर छिड़े विवाद के बीच केंद्र लगातार यही बात कहती नजर आ रही है कि देश में वैक्सीन की कोई कमी नहीं और जरूरत के हिसाब से ही वैक्सीन की सप्लाई की जा रही है।
गौरतलब है कि देश में कोरोना का गहरा संकट छाया हुआ है। रोजाना रिकॉर्ड तोड़ मामले सामने आ रहे हैं। बात अगर शुक्रवार की करें तो आज एक लाख 31 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए, जबकि 780 लोगों की मौत हुई। देश में कोरोना के एक्टिव केस 9 लाख के पार पहुंच गए है।