चंद्रयान 3 मिशन के सफल होने के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सूरज पर मिशन भेजने वाला है. दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अब सूरज पर रिसर्च करने के लिए आदित्य L1 मिशन को भेज रहा है. जो आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 2 सितंबर सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा.
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PSLV रॉकेट के मदद से लोच होगा आदित्य L1 मिशन
जानकारी के अनुसार, इसरो के आदित्य L1 मिशन को जिस PSLV रॉकेट की मदद से लॉन्च किया जाएगा उस PSLV रॉकेट का ये 59वां लॉन्च है। इसकी सक्सेस रेट तकरीबन 99 फीसदी है. वहीं PSLV XL C 57 रॉकेट के कुल 4 स्टेज हैं और इस PSLV XL C 57 रॉकेट में 6 स्ट्रैप ऑन बूस्टर्स हैं. वहीं 4 स्टेप्स में लॉन्च किये जाने वाला ये PSLV XL C 57 रॉकेट के 2 पार्ट में ठोस ईंधन और तरल ईंधन भरा जायेगा.
वहीं इस राकेट लॉन्च के समय सबसे पहले 2 स्ट्रैप ऑन बूस्टर्स ऑन होंगे फिर हवा में जाने के बाद 4 स्ट्रैप ऑन बूस्टर्स ऑन होंगे। इसके बाद ये बूस्टर्स अलग हो जाएंगे। इसके बाद सॉलिड ईंधन वाला प्रोप्लशन स्टेज 1 ऑन हो जाएगा वो रॉकेट को तेजी से आगे ले जायेगा और इसके बाद वो भी अलग हो जाएगा और इसके बाद प्रोप्लशन स्टेज 2 ऑन हो जाएगा. वहीं इसके बाद पे लोड फेरिंग अलग होगी.
स्टेज 2 का काम पूरा करने के बाद प्रोपल्शन स्टेज 3 ऑन हो जाएगा.इसमें विकास इंजन लगा है जिसे पूरी तरह से हमारे वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। ये इंजन आदित्य L1 को वांछित गति और ऊंचाई देने के बाद अलग हो जायेगा। इसके बाद PSLV रॉकेट का आखिरी फेज प्रोपल्शन स्टेज 4 ऑन हो जाएगा.
ये चरण सबसे लम्बा होगा, इस दौरान इंजन को 2 बार चालू किया जाएगा और 2 बार बंद किया जाएगा। ऐसा इसीलिए किया जा रहा है क्योंकि उपग्रह को एक बड़ी कक्षा में स्थापित किया जाना है.
सूर्य पर इस तरह पहुंचेगा आदित्य L1
वहीं इस मिशन के लॉन्च के 63 मिनट के बाद आदित्य L1 सेटेलाइट 235 KM X 19500 KM की अति दीर्घ अंडाकार कक्षा में स्थापित होगा. नासा-कैलटेक के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी वैज्ञानिक और आईआईटी इंदौर के गेस्ट प्रोफेसर डॉ योगेश्वरनाथ मिश्रा ने भी आदित्य एल-1 को भेजे जाने के तरीके के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने इस मिशन को लेकर कहा कि ‘आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान पृथ्वी की अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा और धीरे-धीरे एल-1 को ओर बढ़ेगा. इस दौरान अंतरिक्ष यान में लगे थ्रस्टर्स को समय-समय पर चलाया जाएगा, ताकि यान को वेग मिल सके और उसकी रफ्तार बढ़ जाए, क्योंकि ये पृथ्वी से काफी दूर है तो इसे एल-1 प्लाइंट तक पहुंचने में 4 महीने तक का समय लग सकता है. वहीं उन्होएँ ये भी कहा कि इसे चंद्रयान-3 की तरह ही भेजा जाएगा, बस अंतरिक्ष का रूट अलग होगा और चांद के मुकाबले इसमें ज्यादा समय लगेगा.’
चंद्रयान 3 मिशन के सफल होने हुआ था सूर्य मिशन का ऐलान
आपको बता दें, कुछ दिनों पहले ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना था और इस मिशन के सफल होने के बाद इसरो ने सूर्य मिशन का ऐलान कर दिया था. आदित्य, जिसका अर्थ “सूर्य” है, को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर (930,000 मील) दूर अंतरिक्ष के एक क्षेत्र में लैंग्रेज बिंदु-1 पर स्थापित किया जाएगा. यहां से भारत लगातार सूरज पर नजर रख सकेगा.
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