पैगंबर मोहम्मद (Prophet Muhammad) पर दिए गए BJP की पूर्व प्रवक्ता और नेता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) के बयान से अरब देशों की नाराजगी दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नूपुर के बयान के कारण भारत की बहुत किरकिरी हो चुकी है। मुस्लिम देशों के संगठन ‘ऑर्गनाइजेशन ऑफ द इस्लामिक को ऑपरेशन’ (OIC) ने भी बीजेपी प्रवक्ता के बयान पर आलोचना की है। खाड़ी देशों ने भारत से औपचारिक माफी की मांग सीधे तौर पर की है, लेकिन भारत की तरफ से फिलहाल ऐसी कोई आधिकारिक माफ़ी नहीं मांगी गई है। अरब देशों अर्थात खाड़ी देशों (Gulf Countries) की नाराजगी का ही नतीजा हैं कि बीजेपी ने नूपुर शर्मा को पार्टी से छह महीनों के लिए निलंबित और नवीन जिंदल को हमेशा के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया हैं।
इधर देश में भी नूपुर शर्मा के ‘Prophet Muhammad’ पर दिए गए बयान पर कई राज्यों में रोजाना विशेष समुदाय द्वारा हिंसा देखने को मिल रहीं हैं। प्रयागराज, रांची, कानपुर और सहारनपुर में शरारती तत्वों द्वारा प्रायोजित भारी हिंसा और पथराव देखने को मिला हैं। जिसके कारण लाखों का नुकसान और दो लोगों की जान भी गई हैं। बेरहाल हम आज इस बयान के कारण भारत और अरब देशों के बीच वर्तमान और भविष्य के रिश्तों पर चर्चा करेंगें। क्यूंकि भारत (India) और मुस्लिम देशों अर्थात खाड़ी देशों (Gulf Countries) के रिश्ते बहुत अच्छे रहें हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते इस विवाद के कारण कहीं भारत और अरब देशों के रिश्ते में कहीं खटास ना आजाएं , अगर ऐसा होता है तो सीधे तौर पर इसका असर भारत और अरब देशों के बीच व्यापार पर पड़ेगा। जो आर्थिक स्थिति के लिहाज से भारत के लिए कहीं से भी अच्छा साबित नहीं होगा।
विवाद के कारण भारतीयों के हालात
पैगंबर मोहम्मद विवाद के कारण अरब देशों की नाराजगी के बीच सबसे बड़ा सवाल आता है कि वहां रह रहें भारतीयों की क्या स्थिति हैं। मीडिया सूत्रों के मुताबिक, जब वहां रहने वाले भारतीयों से जब पूछा गया तो उन सभी ने बताया कि उन्हें फिलहाल इस विवाद के कारण कोई दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ रहा हैं। हालात जैसे पहले थे वैसे ही हैं। हमलोग यहां खुशी से रहते हैं और यहां के लोग हमें और हमारे द्वारा यहां किए जाने वाले व्यापार को बहुत समर्थन करते हैं।
बता दें , अरब अर्थात खाड़ी देशों में 89 लाख भारतीय काम करते हैं। यहां मौजूद भारतीय खाड़ी देशों में कुछ सबसे बड़े रिटेल स्टोर और रेस्टोरेंट्स चलाते हैं। भारतीय कामगारों में हिन्दू आबादी भी यहां बड़ी संख्या में है। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में 35 लाख भारतीय काम करते हैं। वहीं कतर में सबसे अधिक भारतीय मूल के लोगों की आबादी है,लेकिन एक सच यह भी है, यदि भारत में कोई छोटा या बड़ा नेता हेट स्पीच देता है, किसी धर्म या समुदाय विशेष के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करता है, उसका सीधा असर कतर जैसे छोटे देश में रह रहे भारतीयों पर पड़ता है। यहां काम करने वाला हर भारतीय खुद को दबाव में महसूस करने लगता है। वह चाहे हिंदू हो या सिख, मुस्लिम या ईसाई। विदेश में रहने वाले हर व्यक्ति के लिए केवल एक धर्म होता है, वह भारतीय। वह खुद को भारत से जोड़ कर देखता है, लेकिन हेट स्पीच और आपत्तिजनक टिप्पणी से वह चाह कर भी खुद को अलग नहीं कर पाता। न चाहते हुए भी ऐसे हेट स्पीच के कारण उसे शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है। ऐसी भी उड़ती-उड़ती खबरें सोशल मीडिया पर आ रही हैं। जिसमें भारतीय सामान और बिजनस के बॉयकॉट की बातें हो रहीं हैं। अगर ऐसा होता हैं तो भारत को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।
बुरा असर पड़ सकता हैं व्यापार पर
भारत के अरब देशों के साथ संबंध के कुछ वर्षों में पहले के मुकाबले काफी बेहतर हुए हैं, जिसकी वजह से व्यापारिक दृष्टिकोण से भी यह रिश्ता ओर मजबूत हुआ है। भारत के संबंध खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के साथ भी अच्छे हैं। GCC एक अंतर-सरकारी राजनीतिक आर्थिक मंच है। जिसमें 6 खाड़ी देश (कुवेत, बहरीन, कतर, ओमान, यूएई और सऊदी अरब) शामिल हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए इन देशों पर काफी हद तक निर्भर है। भारत विदेशों से जितनी भी वस्तुओं का आयात करता है, उनमें से पेट्रोलियम पदार्थों की हिस्सेदारी लगभग 30 फ़ीसदी होती है, जबकि भारत में आयातित कच्चे तेल का 25 फ़ीसदी हिस्सा अकेले इराक से आता है। वहीं दूसरे नंबर पर सऊदी अरब और तीसरे नंबर पर यूएई है। वित्त वर्ष 20 में यूएई भारत का दूसरा सबसे बड़ा इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का बाजार रहा। इसी साल मार्च महीने में भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने संसद में बताया था कि ‘भारत में प्रतिदिन कुल 5 मिलियन बेरल तेल की आवश्यकता होती है, जिसका 60 फ़ीसदी हिस्सा खाड़ी देशों से आता है, जबकि CAG की रिपोर्ट बताती है कि भारत ने 2020-21 में पेट्रोलियम सब्सिडी पर 37,878 करोड़ रुपए खर्च किए थे।’
दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में खाड़ी देशों में रहने वाले लोगों ने भारत में 6.38 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा भेजा था। इनमें से 53 फ़ीसदी पैसा 5 खाड़ी देशों यूएई, सऊदी अरब, कतर, कुवैत और ओमान से भारत आया था. आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे पैसे का 59 फ़ीसदी हिस्सा भारत के 3 राज्यों महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बंगाल में आता है।
भारत, UAE के बड़े पार्टनरों में से एक
UAE भारत का तीसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। 2019-2020 में भारत ने यूएई को 28,853.6 मिलियन डॉलर का निर्यात किया था जो भारत के कुल एक्सपोर्ट का 9.2 फीसदी है। इसी तरह सऊदी अरब को होने वाला निर्यात देश के कुल एक्सपोर्ट का दो फीसदी है। भारत ने 2019-20 में ओमान को 2,261.8 मिलियन डॉलर, इराक को 1,878.2 मिलियन डॉलर, कुवैत को 1,286.6 मिलियन डॉलर, कतर को 1,268.4 मिलियन डॉलर, जॉर्डन को 960.7 मिलियन डॉलर, बहरीन को 559.1 मिलियन डॉलर और लेबनॉन को 204 मिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया था।
अरब देशों से पूरी होती हैं तेल की मांग
60 प्रतिशत कच्चा तेल खाड़ी देशों से भारत आता हैं। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। इसमें खाड़ी देशों की सबसे अहम भूमिका है। 2019 में भारत के कच्चे तेल के आयात में इराक की हिस्सेदारी 22 फीसदी थी। सऊदी अरब की हिस्सेदारी 19 फीसदी, यूएई की नौ फीसदी, नाइजीरिया को आठ फीसदी, वेनेजुएला की सात फीसदी, कुवैत की पांच फीसदी, अमेरिका की चार फीसदी, मेक्सिको की चार फीसदी और ईरान की दो फीसदी हिस्सेदारी थी।