लखीमपुर खीरी में चार किसानों के साथ ही 9 लोगों की जान चली गई, जिसके बाद से BJP की चुनौतियों में इजाफा तो हुआ ही। इसके साथ ही इस घटना का क्या असर विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा ये एक बड़ा सवाल है? क्योंकि महज 4 महीने बाद ही यूपी में चुनाव है। अगर ऐसे हालात में कांग्रेस की बात करें तो उसने अपने आक्रामक तेवर से ये तो जरूर स्पष्ट किया है कि किसानों के मुद्दे पर किसी भी हद तक जाने को वो तैयार है।
कांग्रेस कहती है किसान उसके लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं है, लेकिन किसान आंदोलन के जरिए उसने उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड में अपनी राजनीति को चमकाने की पूरी कोशिश की है, इसमें भी दो राय नहीं है। रणनीतिकार ऐसा मानते हैं कि लखीमपुर खीरी में जो हुआ उसका असर यूपी के साथ साथ पंजाब और उत्तराखंड के होने वाले चुनाव में भी दिखेगा। इस तरह की नाराजगी का फायदा काग्रेंस वोट के जरिए निकालने की पूरा कोशिश में हैं। इसके तहत पार्टी को कितनी कामयाबी मिलती है ये देखना होगा।
फिलहाल जो गौर करना चाहिए वो ये कि प्रियंका गांधी वाड्रा के इन तेवरों ने यूपी में कांग्रेस वर्कर्स में जान फूंकी है। पार्टी नेता प्रियंका के इस से लीड करने पर उनमें पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की छवि तलाशने में लगे हैं। कांग्रेस भी इस घटना को अवसर की तरह देखने लगी होगी।
आपको बता दें कि किसान आंदोलन को लगभग 10 माह बीत गए हैं और इस तरह की घटना पहली दफा हुआ जिसमें लोगों की जान गई। इस तरह के मामले का सीधा आरोप बीजेपी पर लग रहा है। हो ये भी सकता है कि किसानों की नाराजगी बीजेपी के लिए बढ़ सकती है और राज्य के दूसरे हिस्सों में भी आंदोलन को और तेज कर सकते हैं।
2017 के चुनाव को अलग याद करें तो यूपी के बरेली, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी साथ ही सीतापुर डिस्ट्रिक्ट में बीजेपी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था और उत्तराखंड में भी अच्छा प्रदर्शन ही रहा। लेकिन अब देखना होगा कि इस घटना का और किसान अंदोलन का कितना असर होता है आने वाले चुनाव पर और बीजेपी पर।