2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब की राजनीति अलग अलग मुद्दों को लेकर लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। पंजाब की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस में रार खत्म होने का नाम नहीं ले रही। इस बीच केंद्र सरकार ने एक फैसले ने पंजाब की सियासत में एक और नया बवाल लाकर खड़ा कर दिया है। ये फैसला है BSF को लेकर।
केंद्र के फैसले पर पंजाब में विवाद
दरअसल, बुधवार को केंद्र ने देश के इंटरनेशनल बॉर्डर वाले इलाकों में BSF के अधिकार क्षेत्र को बढ़ा दिया। जिसका काफी विरोध पंजाब में किया जा रहा है। कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल (SAD) समेत कई पार्टियां इसके खिलाफ खड़ी नजर आ रही हैं। वहीं विपक्ष में अब तक कैप्टन अमरिंदर सिंह ही ऐसे अकेले नेता हैं, जिन्होंने केंद्र के इस फैसले को सही बताया।
जानिए क्या है वो फैसला?
केंद्र सरकार ने ऐसा क्या फैसला BSF को लेकर लिया, जिस पर पंजाब में विवाद हो रहा है? इस पर तमाम नेताओं का क्या क्या कहना है? आइए जानते हैं इसके बारे में…
सरकार ने BSF के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाया है। जिसके तहत अब पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमाओं साझा करने वाले तीन राज्यों असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब में BSF 50 किमी की सीमा तक गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती कर सकेगी। यानी आसान शब्दों में कहें तो BSF को अब ये अधिकार मिल गया है कि वो बिना मेजिस्ट्रेट के आदेश और वॉरेंट के यहां गिरफ्तारी और तलाशी कर सकती है।
अब तक BSF को इन राज्यों में केवल 15 किमी. के दायरे तक ही सर्च और गिरफ्तार करने का हक मिला हुआ था। सरकार ने अब इस दायरे को बढ़ाकर 50 किलोमीटर तक कर दिया। एक तरफ केंद्र ने इन राज्यों में BSF के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाया है, तो गुजरात में इसे कम कर दिया। गुजरात में BSF के अधिकार क्षेत्र को घटाकर 80 किमी से कम होकर 50 किमी कर दिया गया, जबकि राजस्थान में ये पहले की ही तरह 50 किमी है। वहीं पांच पूर्वोत्तर राज्यों मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुर में भी इस दायरे को 80 किमी से घटाकर अब 20 कर दिया गया है।
सीएम चन्नी ने जताया विरोध
पंजाब में BSF को मिले इस अधिकार को लेकर वहां की तमाम राजनीतिक पार्टियां विरोध कर रही हैं। राज्य के नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने भी इस मसले एक ट्वीट करते हुए कहा कि मैं BSF को इंटरनेशल बॉर्डर वाले इलाकों में अधिक पावर दिए जाने का विरोध करता हूं। देश के संघीय ढांचे पर ये सीधा हमला है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मेरा आग्रह है कि वो इस तर्कहीन फैसले को तुरंत वापस लें।
I strongly condemn the GoI’s unilateral decision to give additional powers to BSF within 50 KM belt running along the international borders, which is a direct attack on the federalism. I urge the Union Home Minister @AmitShah to immediately rollback this irrational decision.
— Charanjit S Channi (@CHARANJITCHANNI) October 13, 2021
अकाली दल भी भड़का
इसके अला0वा शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने इस फैसले को लेकर केंद्र और राज्य सरकार की मिली भगत का आरोप लगाया। वो बोले कि बिना राज्य की सहमति केंद्र इतना बड़ा फैसला ले लें, ये संभव नहीं। उन्होंने कहा कि चन्नी और उनके सहयोगी इसलिए शोर मचा रहे हैं, जिससे वो फैसले के पीछे अपनी भागीदारी को छिपा लें। इस दौरान बादल ने बीते हफ्ते सीएम चन्नी की गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक का भी जिक्र किया।
अमरिंदर ने फैसले को बताया सही
जहां एक ओर तमाम पार्टियां केंद्र के इस फैसले के अगेंट्स में हैं, तो वहीं इस बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह इसमें केंद्र के साथ खड़े हुए नजर आ रहे हैं। उन्होंने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि हमारे जवानों को कश्मीर में मारा जा रहा है। पाकिस्तान की तरफ से ज्यादा से ज्यादा हथियारों और नशीले पदार्थ पंजाब भेजे जा रहे हैं। ऐसे में यहां पर BSF की उपस्थिति और शक्तियां बढ़ने से हमें मजबूती मिलेगीं। केंद्रीय सशस्त्र बलों को राजनीति में ना घसीटें।
बता दें कि सीआरपीसी, Passport Act and Passport (Entry to India) Act के तहत केंद्र ने BSF को कार्रवाई करने का अधिकार दिया है। केंद्र ने ये जो फैसला लिया है, उसके मुताबिक BSF को बंगाल के साथ पंजाब और असम में उग्रवादियों और तस्करों के खिलाफ अपना ऑपरेशन चलाने में मदद मिलेगी।