प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में जवाब दिया। इस दौरान पीएम मोदी ने कोरोना से लेकर किसान आंदोलन तक तमाम मुद्दों पर विपक्ष को घेरा। पीएम मोदी ने राज्यसभा में तंज कसते हुए ऐसी बातें बोली, जिस पर विपक्षी नेता भी हंस पड़े। साथ ही MSP के मुद्दे पर एक बार फिर से किसानों को भरोसा देते हुए आंदोलन खत्म की अपील भी पीएम मोदी ने की। आइए आपको बताते हैं पीएम मोदी के राज्यसभा में दिए भाषण की खास बातें…
‘MSP रहेगी जारी, खत्म करें आंदोलन’
पीएम मोदी ने किसानों को MSP पर भरोसा देते हुए आंदोलन खत्म करने को कहा। पीएम मोदी ने कहा कि MSP थी, है और रहेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें आगे बढ़ना चाहिए। गालियों को मेरे खाते में जान दें, लेकिन सुधार होने दें। बुजुर्ग आंदोलन में बैठे हैं, उनको घर जाना चाहिए। आंदोलन खत्म करें, चर्चा जारी रहेगी। किसानों के साथ बातचीत जारी रहेगी। MSP थी, है और रहेगी।
‘मोदी है, मौका लीजिए’
राज्यसभा में विपक्ष पर पीएम मोदी ने जमकर हमला बोला। उन्होनें मजाकिया अंदाज में कहा कि आपने चर्चा के दौरान मेरे खिलाफ कई टिप्पणियां की। कोरोना की वजह से आप लोग फंसे रहते होंगे। घर में किचकिच भी चलती होगी। आप अपना सारा गुस्सा मेरे पर उतार दिया। इससे आपका मन हल्का हुआ होगा। चलो, मैं आपके काम तो आया, ये मेरा सौभाग्य है। आप ये आनंद लगातार लेते रहिए और मोदी है, मौका लीजिए।
मनमोहन सिंह का पढ़ा पुराना कथन
राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने मनमोहन सिंह के एक कथन को भी पढ़ा, जिसमें उन्होनें बड़े बाजार की वकालत की थीं। पीएम मोदी ने कहा कि मैं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक कथन को कोट करना चाहता हूं। उन्होनें किसानों को अपनी उपज कहीं पर भी बेचने का हक देने की बात कही थी। इस हिसाब से तो इस पर गर्व करने की जरूरत है, क्योंकि जो मनमोहन सिंह ने कहा वो मोदी को करना पड़ रहा है।
‘परिवार में नाराज फूफी की तरह…’
राज्यसभा में पीएम मोदी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि किसी ने भी किसान कानून पर चर्चा नहीं की। सबने यही कहा कि कानून को जल्दबाजी में लाया गया और बिना चर्चा के लाया गया। परिवार में शादी होती है तो फूफी नाराज होकर कहती है… मुझे कहां बुलाया… वो तो रहता है… इतना बड़ा परिवार है तो।’
‘बिना आंदोलन के जी नहीं सकते कुछ लोग’
पीएम मोदी ने कहा कि हम कुछ शब्दों से परिचित हैं, जैसे श्रमजीवी, बुद्धिजीवी। लेकिन बीते कुछ लोग आंदोलनजीवी हो गए। ये लोग किसी का भी आंदोलन हो, वहां पर नजर आ जाएंगे..चाहे वो स्टूडेंट का आंदोलन हो, मजदूर का या किसी और का..ये लोग आपको दिख जाएंगे। कभी पर्दे के पीछे कभी आगे। ये टोली आंदोलनजीवी की है, जो बिना आंदोलन के जी नहीं सकते हैं। हमें ऐसे लोगों को पहचानने की जरूरत है। ये आंदोलनजीवी ही परजीवी होते हैं, जो हर जगह नजर आते हैं।’
‘देश को हर सिख पर गर्व’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ लोग भारत को अस्थिर करने की कोशिश करते हैं, जिनसे हमको सतर्क रहने की जरूरत है। पंजाब का बंटवारा हुआ, 1984 में दंगे, कश्मीर और नार्थ ईस्ट में जो कुछ हुआ उससे देश को नुकसान पहुंचा। कुछ लोग सिख भाइयों के दिमाग में गलत चीजें भरने में लगे हैं। देश को हर सिख पर गर्व है।
‘…जब शास्त्री जी ने’
पीएम मोदी ने सदन में बोलते हुए कहा कि यहां पर केवल आंदोलन की ही बात हो रही है, लेकिन सुधारों पर कोई भी चर्चा नहीं हुई। जब लाल बहादुर शास्त्री जी ने कृषि सुधारों को किया, तो उनको भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, फिर भी वो पीछे नहीं हटे। तब लेफ्ट ने कांग्रेस को अमेरिका का एजेंट कह दिया था। आज मुझे ही वो गाली दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी कानून हो, कुछ समय के बाद उसमें सुधार होते ही हैं।
‘भारत को दुनिया के उपदेश की जरूरत नहीं’
पीएम मोदी बोले कि हमें लोकतंत्र को लेकर कई उपदेश दिए गए। हमें लोकतंत्र को लेकर दुनिया से सीखने की जरूरत नहीं। भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं, जिसकी खाल ऐसे उधेड़ सकें। भारत लोकतंत्र की जननी है। भारत का प्रशासन लोकतांत्रिक है, इसकी परंपरा, संस्कृति, विरासत, और इच्छाशक्ति लोकतांत्रिक है, जो हमें एक लोकतांत्रिक देश बनाता है। ये सत्यम, शिवम, सुंदरम के मूल्यों से प्रेरित है।
कोरोना को लेकर भी विपक्ष को घेरा
कोरोना को लेकर भी पीएम ने विपक्ष को घेरा। उन्होनें कहा कोरोना काल में दुनिया भारत के लिए चिंतित थी। अगर भारत नहीं संभला, तो दुनिया पर संकट आएगा। लेकिन देश ने नागरिकों की रक्षा के लिए जंग लड़ी और आज पूरी दुनिया गर्व कर रही है कि भारत ने इस जंग को जीता। ये लड़ाई किसी सरकार या व्यक्ति की नहीं थी, बल्कि इसे पूरे हिंदुस्तान ने जीता। विपक्ष पर हमला बोलते हुए पीएम ने कहा कि कोरोना संकट में एक बूढ़ी महिला ने झोपड़ी के बाहर दीया जलाया, लेकिन उसका भी मजाक उड़ाया गया। विपक्ष ऐसी बातों में ना उलझे, जिनसे देश के मनोबल को चोट पहुंचता हो।