प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के संबध में आज प्रधानमंत्री नरेद्रं मोदी ने शून्य बजट खेती संम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, आजादी के बाद के दशकों में जिस तरह देश में खेती हुई, जिस दिशा में बढ़ी, वो हम सबने बहुत बारीकी से देखी है। उन्होंने आगे कहा कि अब आजादी के 100वें वर्ष तक का जो हमारा सफर है, वो नई आवश्यकताओं, नई चुनौतियों के अनुसार अपनी खेती को ढालने का है। पीएम ने गुजरात के आणंद में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए किसानों को संबोधित किया।
इस सम्मेलन के दौरन PM मोदी ने खेती से जुड़े पिछले 6-7सालो का भी जिक्र किया। उन्होंने कहां कि बीज से लेकर बाजार तक किसान की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए। मिट्टी की जांच से लेकर नए बीज तक यहां तक की सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक, अनेक कदम उठाए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नैचुरल फार्मिंग से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80% किसान। वो छोटे किसान जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है। इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है। अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि खेतो में आग लगाना ठीक नहीं हैं। इससे धरती की उपजाऊ क्षमती खत्म हो जाती हैं और खेती कपने में दिक्कतें आती हैं।
आखिर में पीएम ये बोले कि मैं आज देश के हर राज्य से, हर राज्य सरकार से, ये आग्रह करुंगा कि वो प्राकृतिक खेती को जनआंदोलन बनाने के लिए आगे आएं। इस अमृत महोत्सव में हर पंचायत का कम से कम एक गांव जरूर प्राकृतिक खेती से जुड़े, ये प्रयास हम कर सकते हैं।