आदिवासी हेयर ऑयल… ये नाम आप आजकल अपने सोशल मीडिया पर जरूर देख रहे होंगे। इस तेल का दावा है कि ये 108 आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से बना है और इसे लगाने से एक महीने के अंदर सर के बाल दोबारा उग आते हैं। इस तेल का प्रचार सोनू सूद, भारती सिंह, फराह खान, एल्विश यादव और Rj नावेद जैसे प्रभावशाली लोगों ने किया है। जिसके बाद जनता का इस तेल पर और भी ज्यादा विश्वास हो गया कि ये तेल उनके बालों के लिए वरदान है लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। आदिवासी तेल लगाने से बाल दोबारा उगने का दावा करने वाले एल्विश यादव ने खुद हेयर ट्रांसप्लांट कराया है और इसका वीडियो भी अपने यूट्यूब पर शेयर करते हैं तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब ऐसे प्रभावशाली लोग खुलेआम झूठ बोलकर इस ब्रांड का प्रचार करेंगे तो इस ब्रांड में कितनी सच्चाई होगी। आइए आपको बताते हैं आदिवासी हेयर ऑयल की सच्चाई।
कौन बनाता है आदिवासी तेल?
कर्नाटक के आदिवासी समुदाय की हेकी पिकी जनजाति द्वारा ये तेल बनाया जाता है और इस तेल को बनाने में 10 से 12 घंटे का समय लगता है। जिसमें 108 जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है और इसकी एक बोतल 1500 रुपये में मिलती है। कई मशहूर हस्तियों ने इस तेल का सोशल मीडिया पर जमकर प्रचार किया है। खबरों की मानें तो सोनू सूद, भारती सिंह जैसी मशहूर हस्तियों ने 40 लाख की भारी भरकम रकम लेकर इसका प्रचार किया है। इस प्रचार के बाद कई फॉलोअर्स ने खुशी-खुशी 1500 रुपये देकर इस तेल को खरीद लिया। और इस तरह यह ब्रांड कुछ ही महीनों में हेयर केयर में एक मशहूर नाम बन गया। इस जनजाति का दावा है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट पर बिकने वाला आदिवासी हेयर ऑयल नकली है, इसलिए इनके द्वारा दिए गए नंबरों से ही यह तेल खरीदा जाना चाहिए।
तेल लगाने के बाद यूजर के झड़े बाल
बड़े सेलेब्रिटीज द्वारा प्रचार किए जाने के बाद कई यूजर्स ने आदिवासी हेयर ऑयल खरीदा लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने सभी को हैरान कर दिया। सोशल मीडिया पर जहां भी आदिवासी तेल का प्रचार किया गया, कमेंट सेक्शन में बड़ी संख्या में शिकायतें आने लगीं। कई यूजर्स ने दावा किया कि तेल नकली था और इसके इस्तेमाल से उनके बाल और भी खराब हो गए।
Adivasi Hair Oil का पूरा काला-चिट्ठा
एफडीए मानकों का उल्लंघन: आदिवासी तेल FDA-स्वीकृत विधियों का उपयोग करके नहीं बनाया जाता है। आमतौर पर तेल बनाने के लिए स्टील और लोहे के बर्तनों का उपयोग किया जाता है, लेकिन आदिवासी तेल के लिए एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग किया जाता है, जो तेल में घुलकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।
संदिग्ध सामग्री: जब भी कोई सेलिब्रिटी आदिवासी तेल का प्रचार करने जाता है, तो उसे दिखाया जाता है कि इस तेल को बनाने के लिए किसी विधि का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आपने वीडियो में गौर किया होगा, तो आप देखेंगे कि आदिवासी तेल बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न तेलों का रंग एक जैसा होता है, जबकि असल में नारियल, बादाम और अरंडी के तेल का रंग अलग-अलग होता है।
अनियंत्रित तापमान: तेल बनाने की प्रक्रिया में तापमान नियंत्रण की भी कमी पाई गई है, जिसके कारण तेल जल सकता है और इसके गुण नष्ट हो सकते हैं। साथ ही तेल में डाली गई जड़ी-बूटियाँ भी तेल के उच्च तापमान के कारण जलने लगती हैं और काली पड़ जाती हैं।
इसके अलावा आदिवासी हेयर ऑयल के निर्माण में लाइसेंस और प्रमाणन की कमी है। यहां तक कि ये तेल भी घटिया प्लास्टिक की बोतलों में भरा जाता हैं।
अब सवाल यह उठता है कि क्या सेलिब्रिटीज को इस उत्पाद की असलियत के बारे में पता था? सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करेगी? क्या इस घोटाले में और भी बड़े नाम शामिल हैं? उपभोक्ता ऐसे घोटालों से कैसे बच सकते हैं?