इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के संस्थापक बाबा रामदेव (Baba Ramdev) के बीच जारी विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है। पिछले दिनों आईएमए के अधिकारियों ने डॉक्टरों और एलोपैथी पर दिए गए बयान को लेकर रामदेव को जमकर लताड़ा था।
जिसके बाद अब एम्स के डॉक्टर्स भी बाबा रामदेव के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसी बीच पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के सह संस्थापक आचार्य बालकृष्ण का विवादित बयान सामने आया है।
पिछले कुछ सालों से सोशल मीडिया पर ‘देश में हिंदू खतरे में है’ जैसी बातें देखने को मिल रही है और भविष्य में देश में इस्लामिक प्रभुत्व होगा जैसी भ्रामक बातें फैलाई जा रही है। अब आचार्य बालकृष्ण ने इस मामले को नया मोड़ दे दिया है। उनका कहना है कि भारत को ईसाई धर्म में तब्दील करने के लिए रामदेव को टारगेट किया जा रहा है।
जानें क्या है मामला?
पतंजलि योगपीठ के सह-संस्थापक और एमडी आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्विट करते हुए यह बातें कही है। उन्होंने कहा है कि सारे देश को ईसाई धर्म में तब्दील करने के षडयंत्र के तहत बाबा रामदेव को टारगेट किया जा रहा है और योग तथा आयुर्वेद को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने आगे लिखा कि देशवासियों, अब तो गहरी नींद से जागो। नहीं तो आने वाली पीढ़ियां तुम्हें माफ नहीं करेंगी।
‘पतंजलि में वैज्ञानिकों का स्वागत है’
बालकृष्ण ने बाबा रामदेव के बयान पर भी सफाई दी है। उन्होंने कहा है बाबा रामदेव कोई उपहास नहीं उड़ा रहे थे बल्कि वह सिर्फ मॉडर्न मेडिसिन लेने के बावजूद डॉक्टर्स की मौत पर दुख जता रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि जितने भी वैज्ञानिक हैं, उनका पतंजलि में स्वागत है। हमारे पास लाखों मरीजों का डेटा है जो कोरोनिल से ठीक हुए हैं।
नेपाल में हुआ है बालकृष्ण का जन्म
पतंजलि के एमडी (Acharya Balkrishna) के इस बयान पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रतिक्रिया सामने आई है। उत्तराखंड कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने आचार्य बालकृष्ण की भारतीय नागरिकता पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं और उन्हें भारत के निजी मामलों में हस्तक्षेप न करने की हिदायत दे डाली है। उन्होंने कहा कि लगता है आचार्य बालकृष्ण मानसिक दिवालिया हो चुके हैं।
दरअसल, बीबीसी के मुताबिक आचार्य बालकृष्ण का जन्म हरिद्वार में एक नेपाली परिवार में हुआ। उनका बचपन भी नेपाल में ही बीता। भारत लौटने के बाद आचार्य बालकृष्ण हरियाणा के खानपुर गुरुकुल में पढ़ाई करने आ गए। गुरुकुल में उनकी मुलाकात बाबा रामदेव से हुई और दोनों मित्र बन गए। फिर आचार्य बालकृष्ण ने 2006 में बाबा रामदेव के साथ मिलकर पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना की।
जानें देश में मुस्लिम और ईसाई आक्रणकारियों का इतिहास?
बता दें, भारत पर कई सौ सालों तक मुस्लिम आक्रमणकारियों का शासन रहा। कुछ मुस्लिम शासकों ने जबरन लोगों का धर्म परिवर्तन कराया, धर्म परिवर्तन नहीं करने पर रक्तपात किया। लेकिन देश के लोग तब भी अपने अडिग फैसले पर अडिग रहे। हर तरफ उनका प्रभुत्व होने के बावजूद देश इस्लामिक नहीं हो पाया।
अब पिछले कुछ सालों से ऐसी बातें फैलाई जा रही है कि हिंदू खतरे में है और आने वाले समय में देश में इस्लाम का प्रभुत्व होगा। अगर इस मामले की तह में जाए तो यह प्रतित होता है कि ये सारी भ्रामक बातें सिर्फ लोगों को बरगलाने के लिए ही की जाती है।
अब देश में ईसाईयों की शासन की बात भी कर लें। मुस्लिम आक्रमणकारियों के बाद देश लगभग 200 सालों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा…यानि ईसाईयों का गुलाम रहा। लेकिन उसके बावजूद भी देश ईसाई नहीं बन पाया और तब हम आजाद भी नहीं थे। अब देश को आजाद हुए 73 साल से ज्यादा का समय बीत गया है। ऐसे में पतंजलि के एमडी का बयान भी हवा में छोड़ी गई तीर की तरह है।