ऐलोपैथी दवाओं और कोरोना काल में मरीजों की सेवा में जी-जान से लगे डॉक्टरों पर टिप्पणी करने के मामले में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के सह-संस्थापक बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन उत्तराखंड की ओर से बाबा रामदेव पर 1000 करोड़ रुपये के मानहानि का केस किया है और माफी की मांग को लेकर नोटिस भी भेज दिया है।
साथ ही आईएमए उत्तराखंड ने इस मामले को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और स्वामी रामदेव पर देशद्रोह के तहत कार्रवाई की मांग की है। इसी बीच पतंजलि योगपीठ की ओर से कंफर्म किया गया है कि यह नोटिस मानहानि से संबंधित है।
कानूनी तरह से देंगे जवाब- पतंजलि
आईएमए की ओर से मिली नोटिस को लेकर पतंजलि योगपीठ ने कहा अब इसका आईएमए को करारा जवाब मिलेगा। पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के सह-संस्थापक और एमडी आचार्य बालकृष्ण ने पुष्टि करते हुए कहा कि ‘हम आईएमए को इस नोटिस का कानूनी तरह से जवाब देंगे।’
पतंजलि योगपीठ की ओर से कहा गया कि पतंजलि सारी गतिविधियां वैज्ञानिक पद्धति और सत्यता को ध्यान में रखकर करता है और योगपीठ किसी को भी ऋषियों के ज्ञान और उनके सम्मान के प्रति सवाल उठाने नहीं दे सकता।
15 दिन के भीतर लिखित माफी मांगे रामदेव
दरअसल, बीते बुधवार को आईएमए उत्तराखंड ने ऐलोपैथी दवाओं के लिए दिए गए बयान पर रामदेव को मानहानि का नोटिस भेजा और कोरोनिल पर झूठा विज्ञापन का आरोप लेते हुए उसे वापस लेने की मांग की। पत्र में IMA ने कहा है कि यदि बाबा रामदेव 15 दिनों के अंदर खंडन वीडियो और लिखित माफी नहीं मांगते हैं तो उनसे 1,000 करोड़ रुपये की मांग की जाएगी।
देशद्रोह के आरोपों के तहत कार्रवाई की मांग
दूसरी ओर आईएमए उत्तराखंड ने पीएम मोदी को पत्र लिखते हुए रामदेव के उन बयानों का जिक्र किया है जिसमें रामदवे कोरोना वैक्सीन और डॉक्टरों की मौत के बारे में बोल रहे हैं। पीएम को लिखे पत्र में आईएमए की ओर से कहा गया कि पतंजलि के मालिक रामदेव के टीकाकरण पर गलत सूचना के प्रचार को रोका जाना चाहिए। एक वीडियो में उन्होंने दावा किया कि वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद भी 10,000 डॉक्टर और लाखों लोग मारे गए हैं। उन पर देशद्रोह के आरोपों के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।