Pamban Bridge Incident: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 6 अप्रैल को तमिलनाडु के रामेश्वरम में पंबन ब्रिज का उद्घाटन किया। यह ब्रिज न केवल रामेश्वरम के लोगों के लिए एक बड़ी सौगात है, बल्कि पर्यटकों और व्यापारियों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। पंबन ब्रिज का उद्घाटन एक ऐतिहासिक घटना के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि इस ब्रिज के निर्माण से क्षेत्र की यातायात व्यवस्था में सुधार होगा और व्यापार एवं पर्यटन में वृद्धि होगी।
पंबन ब्रिज की खासियत- Pamban Bridge Incident
पंबन ब्रिज की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह एक वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज है, जो ट्रेन और जहाज दोनों के लिए उपयोगी होगा। इस ब्रिज के डिजाइन और निर्माण को इंजीनियरों का अद्भुत कार्य माना जा रहा है। पंबन ब्रिज को समुद्र के कठिन मौसम और तेज हवाओं से मुकाबला करने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। इसे स्टेनलेस स्टील और पॉलीसिलोक्सेन पेंट से तैयार किया गया है, जिससे यह ब्रिज जंग से सुरक्षित रहेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह ब्रिज करीब 58 साल तक बिना किसी बड़ी परेशानी के काम करेगा।
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59 साल पहले दिसंबर 1964 के दिन ट्रेन नंबर- 653 तमिलनाडु के पंबन रेलवे स्टेशन से धनुषकोडी की तरफ निकली थी, लेकिन… pic.twitter.com/vtcuZD4C0M
— Prof. Sudhanshu 𝕋ℙ𝕊🚩 (@ProfSudhaanshu) April 8, 2025
इसके अलावा, इस ब्रिज की लंबाई 6,790 फीट है और इसमें 100 आर्च हैं, जिनमें से एक खास वर्टिकल लिफ्ट आर्च 72.5 मीटर ऊंचा है। यह ब्रिज भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज है, जिसका निर्माण पूरी तरह से देशी तकनीक से हुआ है। ब्रिज में सुरक्षा के लिए स्मार्ट सिग्नल सिस्टम और हाई रेजोल्यूशन कैमरे लगाए गए हैं, ताकि तेज हवाओं के दौरान ट्रेन की आवाजाही को सुरक्षित किया जा सके।
1964 की दर्दनाक घटना और पुराना ब्रिज
पंबन ब्रिज के इतिहास में एक दुखद घटना भी जुड़ी हुई है, जब 61 साल पहले, 23 दिसंबर 1964 को चक्रवाती तूफान और सुनामी के कारण ट्रेन नंबर 653 समुद्र में समा गई थी। इस घटना में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। यह ट्रेन पंबन से धनुषकोडी जा रही थी, लेकिन तूफान की चपेट में आने के कारण ट्रेन पुल को पार करते हुए समुद्र में बह गई। अगले दिन केवल ट्रेन का इंजन पानी से बाहर दिखाई दे रहा था।
हालांकि, उस समय का पुराना ब्रिज इस आपदा को सहन कर गया, लेकिन इसके 126 स्पैन बह गए और दो स्तंभ तबाह हो गए थे। इस हादसे के बाद पंबन ब्रिज की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठे थे, जिसे अब नए ब्रिज के जरिए हल कर दिया गया है।
रामेश्वरम से भारत के चारों धाम तक सीधी रेल यात्रा
नए पंबन ब्रिज के उद्घाटन से रामेश्वरम अब भारतीय रेलवे के जरिए देश के कोने-कोने से जुड़ चुका है। चाहे वह राम की अयोध्या हो, कृष्ण की द्वारका, महाकाल की उज्जैन हो या फिर माता वैष्णो देवी का कटरा। अब इन चारों धामों से रामेश्वरम तक सीधी रेल यात्रा उपलब्ध होगी, जिससे श्रद्धालुओं के लिए यात्रा करना और भी सरल हो जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी का योगदान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में पंबन ब्रिज के निर्माण की नींव रखी थी और रविवार को इसका उद्घाटन किया। पंबन ब्रिज का निर्माण न केवल रामेश्वरम के लोगों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना साबित हो रहा है। यह ब्रिज भारतीय तकनीकी क्षमताओं का प्रतीक है और देश की बढ़ती बुनियादी ढांचे की ओर कदम बढ़ाने का संकेत है।
सुरक्षा और तकनीकी सुविधाएं
पंबन ब्रिज पर सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है। यहां 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी हवाएं चलती हैं, ऐसे में सुरक्षा के लिए स्मार्ट सिग्नल सिस्टम लगाया गया है, जो तेज हवाओं के दौरान ट्रेन की आवाजाही को नियंत्रित करेगा। इसके अलावा, पुल के चारों ओर हाई रेजोल्यूशन कैमरे लगाए गए हैं, जो सुरक्षा को और भी मजबूत करेंगे।