Pahalgam terror attack update: भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष में कई विवादित क्षेत्र रहे हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र है हाजी पीर दर्रा। यह दर्रा जम्मू और कश्मीर के पुंछ क्षेत्र को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के रावलकोट से जोड़ता है। पिछले कुछ समय से इस दर्रे की अहमियत को लेकर चर्चा हो रही है, खासकर पहलगाम आतंकी हमले के बाद, जिसमें भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठी है।
हाजी पीर दर्रा: आतंकवाद के लिए प्रमुख रास्ता- Pahalgam terror attack update
हाजी पीर दर्रा हिमालय की पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला में स्थित है, और इसकी ऊंचाई 2,637 मीटर (8,652 फीट) है। इस दर्रे से PoK और कश्मीर घाटी का नजारा देखा जा सकता है, और यह क्षेत्र पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ करने का प्रमुख मार्ग बन चुका है। डिफेंस एनालिस्ट लेफ्टिनेंट कर्नल(रि.) जेएस सोढ़ी के अनुसार, यह दर्रा अब आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित मार्ग बन चुका है, जिससे वे जम्मू और कश्मीर में घुसपैठ कर भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं।
भारत के लिए रणनीतिक महत्व
हाजी पीर दर्रे को भारत के कब्जे में होना रणनीतिक दृष्टि से कई लिहाज से फायदेमंद साबित हो सकता था। यदि यह दर्रा भारत के पास होता तो पुंछ और उरी के बीच की सड़क की दूरी 282 किलोमीटर से घटकर केवल 56 किलोमीटर रह जाती। इस दूरी में कमी से कश्मीर घाटी और जम्मू के बीच बेहतर कनेक्टिविटी संभव होती, जिससे सेना की आपूर्ति में तेजी और व्यापार में भी सुधार होता। यह भारत को रणनीतिक दृष्टि से पाकिस्तान के PoK क्षेत्र तक आसानी से पहुंचने का रास्ता देता, जिससे पाकिस्तान की स्थिति नाजुक रहती।
इतिहास में हाजी पीर दर्रे की अहमियत
विभाजन से पहले, हाजी पीर दर्रा भारत के कब्जे में था, और यह उत्तर कश्मीर को दक्षिण कश्मीर से जोड़ने वाली मुख्य सड़क का हिस्सा था। लेकिन 1948 में पाकिस्तान ने PoK पर कब्जा कर लिया, जिसमें हाजी पीर दर्रा भी शामिल था। इसके बाद, यह रास्ता भारत से छिन गया और पाकिस्तान के नियंत्रण में आ गया। यदि भारत के पास यह दर्रा होता, तो यह भारत और PoK के बीच के संबंधों को एक नया मोड़ देता और पाकिस्तान को कश्मीर में घुसपैठ करने की क्षमता को नियंत्रित कर सकता था।
60 साल पहले की गलती और आज के परिणाम
1965 में ताशकंद समझौते के दौरान, भारत ने पाकिस्तान को अपनी जीती हुई जमीन वापस कर दी थी, जिसमें हाजी पीर दर्रा भी शामिल था। भारत की स्थिति मजबूत होने के बावजूद, यह निर्णय लिया गया था कि हाजी पीर दर्रा पाकिस्तान को लौटा दिया जाए। यह गलती आज भी भारत को कई मोर्चों पर घाव देती आ रही है। पाकिस्तान ने इस दर्रे का उपयोग कश्मीर में घुसपैठ और आतंकवाद फैलाने के लिए किया है, जिससे भारत को लगातार नुकसान उठाना पड़ता है।
भारत की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम
पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत में इस बात पर गंभीर चर्चा हो रही है कि हाजी पीर दर्रे का मुद्दा फिर से एक बार महत्वपूर्ण बन चुका है। भारत के रक्षा विशेषज्ञ और सुरक्षा अधिकारी इस दर्रे के महत्व को समझते हुए, यह मानते हैं कि इस दर्रे के नियंत्रण को भारत के पास लाना, भारत की सुरक्षा के लिहाज से बेहद आवश्यक है। यदि भारत इसे पुनः कब्जा करता है, तो पाकिस्तान के लिए कश्मीर में घुसपैठ और आतंकवाद फैलाने में खासी मुश्किल हो सकती है।
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