जलियांवाला बाग…ये सुनते ही लोगों को 13 अप्रैल 1919 के उस काले दिन याद की आती है, जब अग्रेंजो ने जो क्रूरता दिखाई थी, उसके बारे में सोचकर भी रूंह कांप उठती है। इस जगह पर ही 1000 से ज्यादा लोगों को मारा गया था। यही जलियांवाला बाग एक बार फिर से चर्चाओं में बना है। वजह है मोदी सरकार द्वारा इसका नवीकरण करना।
जलियांवाला बाग के नवीकरण पर विवाद
दरअसल, हाल ही में पीएम मोदी ने जलियांवाला बाग स्मारक के पुनर्निर्मित यानी रिनोवेटेड परिसर का उद्घाटन किया। सोशल मीडिया पर कई लोग और विपक्ष के कुछ नेता जलियांवाला बाग के इस नवीकरण का विरोध कर रहे हैं। वो इसका काफी विरोध करते नजर आ रहे हैं। लोग मोदी सरकार पर जलियांवाला बाग के साथ छेड़छाड़ करने और वहां शहीद हुए लोगों की शहादत का अपमान करने का आरोप लगाते नजर आ रहे हैं।
विपक्षी नेता सरकार पर भड़के
जलियांवाला बाग में किए गए ये बदलाव ही कई लोगों को पसंद नहीं रहा। विपक्ष के कई नेताओं ने इसका विरोध किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस पर एक ट्वीट करते हुए कहा- ‘जलियांवाला बाग के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता। मैं एक शहीद का बेटा हूं- शहीदों का अपमान किसी कीमत पर सहन नहीं करूंगा। हम इस अभद्र क्रूरता के खिलाफ हैं।’
वहीं CPI नेता सीताराम येचुरी ने इस बदलाव को लेकर सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा- ‘हमारे शहीदों का अपमान। बैसाखी के लिए एकत्र हुए हिंदू मुस्लिम सिखों के जलियांवाला बाग हत्याकांड ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को गति दी। यहां की हर ईंट ब्रिटिश शासन की दहशत में व्याप्त थी। केवल वो लोग जो महाकाव्य स्वतंत्रता संग्राम से दूर रहे, इस प्रकार कांड कर सकते हैं।’
जानिए क्या क्या बदलाव हुए?
विपक्षी नेताओं के अलावा सोशल मीडिया पर कई लोग भी सरकार के इस काम की आलोचना करते नजर आ रहे हैं। दरअसल जलियावाला बाग में कई तरह के बदलाव किए गए। बाग का केंद्रीय स्थल माने जाने वाले ‘ज्वाला स्मारक’ की मरम्मत और इसका पुनर्निर्माण कराया गया। आधुनिक मेमोरियल कॉम्पलेक्स में म्यूजियम गैलरियां बनाई गई हैं। शहीदी कुएं को भी एक शीशे की चादर से ढक दिया गया, जिसमें तब गोलियों की हो रही बौछार से बचने के लिए लोग कूदे थे। मुख्य स्मारक के चारों तरफ एक तालाब बनाया गया है, जहां कमल के फूल दिखाई दे रहे हैं। साथ ही मेहमानों के लिए एक खास मैदान भी बनाया गया, जहां हर रोज लेजर और साउंड शो होगा।