उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों में अब काफी कम वक्त बाकी रह गया है। अगले कुछ दिनों के अंदर इलेक्शन की डेट अनाउंस हो जाएगी। चुनावों को लेकर यूपी की सियासत पहले से ही कई ज्यादा गर्माई हुई है। इस बीच यूपी में चुनावों के ठीक पहले इनकम टैक्स विभाग की भी एंट्री हो गई। आयकर के इन छापों से समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई है।
नोटों के बंडल देखकर उड़े होश
गुरुवार को आयकर विभाग में कानपुर के एक इत्र कारोबारी के ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान जांच एजेंसी को 150 करोड़ रुपये की बरामदगी हुई। नोटों के बंडल इतने ज्यादा थे जिसे अधिकारियों को गिनने में 24 घंटों से भी ज्यादा का समय लग गया। साथ ही साथ इन्हें रखकर ले जाने के लिए 100 बॉक्स और कंटेनर की जरूरत पड़ी।
इत्र कारोबारी जिनके यहां छापा मारा गया, उनका नाम पीयूष जैन था। पीयूष जैन के घर पर जैसे ही अधिकारियों ने पहुंचकर उनके यहां अलमारी खोली, तो उनके होश उड़ गए। अलमारियां नोटों के बंडल से भरी हुई थीं। जब अधिकारी नोट गिनते गिनते थक गए, तो इन्हें गिनने के लिए मशीनें तक बुलानी पड़ी।
पीयूष जैन के ठिकानों पर पड़े इस छापे के बाद बीजेपी समाजवादी पार्टी को घेरती नजर आ रही है। दरअसल, बीजेपी का पीयूष जैन का कनेक्शन समाजवादी MLC पुष्पराज जैन उर्फ पम्पी जैन से जोड़ती हुई नजर आ रही है, हालांकि सपा इसको नकारती नजर आ रही है।
सपा नेताओं पर भी हुई थी कार्रवाई
इससे कुछ ही दिन पहले आयकर विभाग से सपा के कई नेताओं के यहां भी छापे मारे थे। इस दौरान 4 दिनों तक लखनऊ समेत मैनपुरी, कोलकाता, बेंगलुरु और एनसीआर के 30 ठिकानों पर जांच एजेंसी ने छापे मारे, जिसमें आयकर विभाग को 86 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला था, जिसमें से 68 करोड़ रुपये की अघोषित आय को कुबूल किया गया।
वैसे जानकारी मिल रही है कि इनकम टैक्स विभाग लंबे समय से समाजवादी पार्टी से जुड़े लोगों पर नजर बनाए रखा था। टीम को इस दौरान सामान, होलसेल और डिलीवरी जैसे कोड-वर्ड की भी जानकारी मिली। इसके बाद IT टीम ने ये छापेमारी की।
क्या था ऑपरेशन बिग बाजार?
इस ऑपरेशन को नाम दिया गया ‘बिग बाजार’ नाम दिया गया। इस छापेमारी को इतना गोपनीय रखा गया कि DGGI के स्थानीय अधिकारियों को भी इसके बारे में कुछ नहीं बताया गया। खबरों की मानें तो ऑपरेशन के लिए अहमदाबाद की टीम ने लोकल के दो अफसरों से बात की। उनको ये कहा गया कि एक ऑपरेशन होना है, जिसके लिए बिग बाजार चलना है।
उन्हें बताया गया कि एक ऑपरेशन होना है। इसके लिए बिग बजार चलना है। कानपुर में कई बिग बाजार हैं? कहां पहुंचना है? ये पूछने पर पूछा गया कि कहां-कहां पर बिग बाजार हैं? स्थानीय अधिकारियों ने जब रावतपुर और परेड के बिग बाजार का नाम लिया, तो उन्होंने इनकार कर दिया। दक्षिण कानपुर के बिग बाजार का नाम लेने पर वहीं बुला लिया गया। जब अधिकारी वहां पर पहुंचे, तो अहमदाबाद की टीम ने उनको एक सीलबंद लिफाफा दे दिया। कार में बैठने को बाद लिफाफे को खोला गया, जिसमें कार्रवाई को लेकर सभी दिशा निर्देश दिए गए। इसके बाद ही इत्र कारोबारी के यहां पर ये छापेमारी की कार्रवाई हुई।