One Nation One Election Bills: भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के प्रस्ताव को लेकर राजनीति गरमा गई है। मंगलवार को सरकार ने लोकसभा में ‘One Nation One Election Bills’ (एक देश, एक चुनाव विधेयक) पेश किया, जिससे पूरे देश में राजनीतिक हलचल मच गई है। विधेयक के तहत लोकसभा और राज्यों की विधानसभा चुनावों को एक साथ कराए जाने का प्रस्ताव है। सरकार ने इसे संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024 के रूप में संसद में प्रस्तुत किया है। हालांकि, विधेयक के सामने आते ही विपक्षी दलों ने इसका कड़ा विरोध किया है, इसे लोकतंत्र और संविधान के बुनियादी ढांचे पर हमला करार दिया है।
और पढ़ें: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को दी मंजूरी, संसद में पेश होने की संभावना
विधेयक के उद्देश्य- One Nation One Election Bills
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयक का प्रस्ताव करते हुए कहा कि यह देश के राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए है। सरकार का मानना है कि देश में चुनावों को एक साथ आयोजित करने से संसाधनों की बचत होगी और चुनावों की प्रक्रिया सरल हो जाएगी। इसके अलावा, यह व्यवस्था लंबे समय तक स्थिरता प्रदान करेगी और चुनावी खंडितता को दूर करेगी।
Law Minister Arjun Ram Meghwal moves ‘one nation, one election’ bills for introduction in Lok Sabha
— Press Trust of India (@PTI_News) December 17, 2024
विपक्ष का विरोध
विधेयक के विरोध में कांग्रेस, सपा, टीएमसी, आम आदमी पार्टी, सीपीएम, और कई अन्य दलों ने कड़ी आपत्ति जताई है। इन दलों का कहना है कि यह विधेयक भारतीय संविधान के मूल ढांचे पर हमला है और इसका उद्देश्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करना है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस विधेयक को संविधान विरोधी बताया और कहा कि ऐसे संशोधन इस सदन के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह विधेयक देश की संघीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि राज्यों को अपने चुनाव निर्धारित करने का अधिकार होता है।
इसके अलावा, विपक्षी दलों ने मांग की है कि इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जाए, ताकि इसके संभावित प्रभावों पर विस्तृत चर्चा हो सके। उनका यह भी कहना है कि यह विधेयक सरकार द्वारा एकतरफा तरीके से लाया गया है, और इसकी पहल पर सभी दलों को विश्वास में नहीं लिया गया है।
विधेयक का समर्थन
जहां एक ओर विपक्षी दल विधेयक का विरोध कर रहे हैं, वहीं कुछ राजनीतिक दल इसके समर्थन में भी सामने आए हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जेडीयू, टीडीपी, शिवसेना, एलजेपी, बीएसपी, और असम गण परिषद जैसे दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया है। उनका मानना है कि यह प्रस्ताव देश के राजनीतिक जीवन में स्थिरता और पारदर्शिता लाने में मदद करेगा। इन दलों का कहना है कि चुनावों का समान समय पर आयोजन संसाधनों की बचत करेगा और राजनीतिक मुद्दों को समय रहते सुलझाने का अवसर मिलेगा।
विभिन्न पार्टियों की प्रतिक्रियाएं
विधेयक के समर्थन में BJP के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि इस कदम से चुनावी खर्चों में कमी आएगी और प्रशासनिक खामियों में सुधार होगा। वहीं, जेडीयू के नेता ने भी इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे देश के विकास में गति मिलेगी और चुनावों को लेकर होने वाली अनावश्यक विवादों से बचा जा सकेगा।
विपक्षी दलों का कहना है कि यह विधेयक तानाशाही की ओर बढ़ने वाला कदम है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बाधित कर सकता है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि इस प्रकार के संवैधानिक बदलाव का विरोध किया जाना चाहिए, क्योंकि यह भारतीय संविधान की धारा 368 के तहत बुनियादी ढांचे पर असर डालता है।
क्या है ‘One Nation One Election’ का प्रस्ताव?
‘One Nation One Election’ का उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का है, जिससे चुनावी खर्चों में कमी, बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था और समय की बचत हो सके। सरकार का दावा है कि यह कदम देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाएगा, जबकि विपक्ष का कहना है कि यह कदम चुनावी स्वतंत्रता और जनता की आवाज को कमजोर करेगा।