Noida News: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक दुखद घटना सामने आई है, जहां जीएसटी विभाग के डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह ने आत्महत्या कर ली। यह घटना सेक्टर-113 थाना क्षेत्र के सेक्टर-75 स्थित अपेक्स एथेना सोसाइटी की है, जहां 59 वर्षीय अधिकारी ने टॉवर की 14वीं मंजिल से छलांग लगाकर अपनी जान दे दी। इस घटना से इलाके में सनसनी फैल गई और पुलिस ने तत्काल जांच शुरू कर दी है।
कैंसर और डिप्रेशन से जूझ रहे थे संजय सिंह (Noida News)
मृतक संजय सिंह लंबे समय से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। उनके परिवार और करीबी सूत्रों के अनुसार, वह कैंसर की अंतिम अवस्था में थे, जिसकी वजह से वे अत्यधिक तनाव और डिप्रेशन से गुजर रहे थे। उनके इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में चिकित्सा प्रक्रिया जारी थी, लेकिन बीमारी और मानसिक तनाव के चलते उन्होंने यह कदम उठाया।
घटना का पूरा विवरण
घटना सोमवार सुबह करीब 10:45 बजे घटी, जब संजय सिंह अचानक अपनी सोसाइटी की ऊपरी मंजिल पर पहुंचे और वहां से छलांग लगा दी। पुलिस को सूचना मिलते ही टीम मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया।
नोएडा के एडीसीपी ने जानकारी दी कि संजय सिंह अपने परिवार के साथ फ्लैट नंबर 2004 में रहते थे। उनके परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं। बड़ा बेटा गुरुग्राम में नौकरी करता है, जबकि छोटा बेटा ग्रेटर नोएडा की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहा है। घटना के बाद पूरे परिवार में मातम छाया हुआ है।
पुलिस जांच और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने फिलहाल इस मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में आत्महत्या के पीछे किसी साजिश की कोई आशंका नहीं जताई गई है, और न ही कोई सुसाइड नोट बरामद हुआ है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, परिजनों से पूछताछ की जा रही है और मामले से जुड़े सभी पहलुओं पर गौर किया जा रहा है।
तनाव और मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल
यह घटना एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य और कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की मानसिक स्थिति पर गंभीर चर्चा का विषय बन गई है। संजय सिंह लंबे समय से बीमारी के कारण मानसिक रूप से परेशान थे। विशेषज्ञों के अनुसार, गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति को निरंतर मानसिक और भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता होती है, जिससे वह अवसाद जैसी स्थिति से बाहर आ सके।
समाज और सरकार को उठाने होंगे कदम
यह घटना सरकार और समाज के लिए एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाने और इससे प्रभावित लोगों को उचित परामर्श तथा सहायता प्रदान करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए काउंसलिंग और मनोवैज्ञानिक सहायता अनिवार्य की जानी चाहिए, ताकि वे अपनी समस्याओं से लड़ने की हिम्मत जुटा सकें।