नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल (NLTC ) ने सोमवार को हुई सुनवाई में वेव ग्रुप (Wave Group) की याचिका खारिज कर दी। बिल्डर ग्रुप ने वेव मेगा सिटी सेंटर परियोजना पर दिवालिया प्रक्रिया चलाने की याचिका दायर की थी। सुनवाई के बाद याचिका खारिज करते हुए वेव समूह पर एक करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया है। साथ ही घर खरीदारों, प्राधिकरण के पैसों की हेरफेर की आशंका को देखते हुए Wave Group की जांच गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) से कराने का आदेश दिया है। कोर्ट का मानना है कि वेव ग्रुप ने अपने घर खरीदारों को धोखे की मंशा से दिवालिया प्रक्रिया चलवाने की कोशिश की थी। बता दें , बिल्डर कंपनी खुद NCALT में दिवालिया घोषित कराने की याचिका लेकर गई है। इसके चलते एनसीएलटी को बिल्डर कंपनी की नीयत पर शक हुआ और मामला यहां तक बढ़ गया। अन्य मामलों में बैंक बिल्डरों के खिलाफ याचिका लेकर गए हैं।
क्या है पूरा मामला
वेव ग्रुप की कंपनी वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड ने खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NLTC) में अर्जी लगाई थी। कई महीने से इस मसले से पर लॉ ट्रिब्युनल में सुनवाई चल रही थी। ग्रुप की इस कंपनी से जुड़े करीब 2500 से ज्यादा बायर्स फंसे हुए हैं। इस फैसले से सभी ने राहत की सांस महसूस की है। जब से बिल्डर कंपनी ने खुद को एनसीएलटी में दिवालिया प्रक्रिया में ले जाने की अपील की थी तभी से बायर्स भी पूरी गंभीरता के साथ कोर्ट में अपनी पैरवी कर रहे थे। बायर्स शुरु से ही यही बात कोर्ट के सामने रख रहे थे कि बिल्डर अपनी जिम्मेदारी से भागने के लिए दिवालिया प्रक्रिया में जाना चाहता है।
हांलाकि नोएडा के सेक्टर-25 और सेक्टर-32 के बीच स्थित वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड ने 2011 में लीज होल्ड के आधार पर 6.18 लाख वर्ग मीटर जमीन अथॉरिटी से खरीदी थी। इसके लिए ग्रुप ने 1.07 लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से 6,622 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। इसके बाद इसमें से कुछ जमीन अथॉरिटी को वापस कर दी गई थी और कुछ बकाये को लेकर अथॉरिटी व बिल्डर कंपनी में विवाद चल रहा था। इसी बीच अथॉरिटी ने फरवरी 2021 में बिल्डर का प्लॉट आवंटन रद्द कर दिया था। इसके चलते बिल्डर कंपनी ने NACLT में दिवालिया घोषित होने के लिए याचिका दाखिल की थी।
वेव ग्रुप ने एनसीएलटी में कही यह बात
वेव ग्रुप का आरोप है कि नोएडा (Noida) अथॉरिटी मनमाने तरीके से उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है। अथॉरिटी ने सेक्टर-32 और 25 में रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रोजेक्ट को गलत तरीके से सील किया है। कंपनी का दावा है कि वेव मेगा सिटी प्रोजेक्ट में 3800 करोड़ रुपये का इंवेस्ट किया गया था। इसमे बैंक लोन के रूप में लिए गए 200 करोड़ रुपये की रकम भी शामिल है। इतना ही नहीं खरीदारों से आए करीब 1400 करोड़ रुपये की रकम भी इसी में शामिल है। इसमें से 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान अलग-अलग सरकारी एजेंसियों को किया गया है. इसमे नोएडा अथॉरिटी को करीब 1600 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।