देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की वो रात आम नहीं थी, इस रात एक बेटी की आबरु से छह लोग खेल रहे थे. वो कहर रही थी, वो चिल्ला रही थी लेकिन दरिंदों के कानों तक एक आवाज न जा रही थी. वो उसके साथ दरिंदगी और हैवानियत की सभी हदें पार करते रहे है. यहां तक कि उस पीड़िता को निवस्त्र कर चलती बस से दिसंबर की उस सर्द रात में सड़क पर फेक दिया था.
जी हां, हम बात कर रहे हैं राजधानी दिल्ली के मुनिरका में हुए निर्भया के साथ हैवानियत की उस रात की. भले ही उस काली रात को बीते 7 साल और कुछ महीने क्यों न हो गए हो लेकिन आज भी उसे याद कर हर मां-बाप के आंखों से अश्क बहता है. देश का कोई नागरिक नहीं चाहता कि जैसे निर्भया के साथ हुआ वैसे किसी ओर के साथ दोहराया जाए. हर कोई चाहता था तो बस निर्भया के दोषियों का फांसी के फंदे पर लटकाना, जो कि आज यानी 20 मार्च, 2020 को पूरा हुआ और निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा हो गई. आइए आपको निर्भया गैंगरेप और हत्या का पूरा मामला विस्तार से बताते हैं…
16 दिसंबर, 2012 की रात
16 दिसंबर, 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा निर्भया अपने एक दोस्त के साथ साकेत के सेलेक्ट सिटी मॉल में फिल्म ‘लाइफ ऑफ पाई’ देखने के लिए गई थी. फिल्म देखने के बाद जब दोनों ऑटो के लिए सड़क पर खड़े हुए तो उस सर्द रात में कोई भी ऑटो चालक जाने के लिए तैयार नहीं हो रहा था. ऐसे में एक ऑटो चालक तैयार तो हुआ लेकिन उसने उन दोनों को मुनिरका के बस स्टैंड तक छोड़ने के लिए कहा और फिर वो दोनों मुनिरका के बस स्टैंड पर उतर गए, उस दौरान लगभग रात के 8:30 बज रहे थे.
मुनिरका बस स्टैंड के पास एक सफदे रंग की बस खड़ी हुई थी और उसमें बैठा एक नाबालिग पालम मोड और द्वारका जाने के लिए आवाज लगा रहा था. वहां, पहुंचने पर निर्भया और उसके दोस्त ने देखा कि बस में पहले से कुछ लोग बैठे हुए हैं, जिसके बाद वो दोनों भी बस में बैठ गए लेकिन ये दोनों इस बात से अंजान थे कि इनकी खुशियों पर अब काले साये ने दस्तक दे दी है. इस दौरान चलती बस में ड्राइवर और कंडेकटर के अलावा चार लोगों ने निर्भया से दुष्कर्म किया.
इतना ही नहीं, उसके प्राइवेट पार्ट में लोह की रोड तक डालकर हैवानियत की, जिससे उसके अंदुरुनी अंग पर भी काफी असर पड़ा. हद तो तब पार हुई जब निर्भया समेत उसके दोस्त को भी उन हैवानों ने मिलकर मारा और उस रात कड़कड़ाती ठंड में मुनिरका की सड़क पर दोनों को निवस्त्र कर फेंक दिया. मौके पर पहुंची पुलिस ने पीड़िता निर्भया और पीड़त दोस्त को तुरंत दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया.
सिंगापुर में ली निर्भया ने आखिरी सांस
निर्भया की हालत इतनी ज्यादा खराब थी कि उसे आगे के इलाज के लिए देश से बाहर सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. निर्भया के अंदरुनी अंग बुरी तरह से जख्मी हो चुके थे, ऐसे में रोज वो जिंदगी और मौत का सामना करती रही लेकिन फिर घटना के 13 दिन बाद यानी 29 दिसंबर, 2012 की रात करीब सवा दो बजे उसने अपमना दम तोड़ दिया था.
घटना के दो दिनों में दोषियों को किया था गिरफ्तार
निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले में लगभग 80 लोगों को गवाह बनाया गया था. घटना के दो दिन बाद 18 दिसंबर, 2012 को पुलिस ने 6 दोषियों में से 4 दोषियों- राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया था. वहीं, दिल्ली पुलिस ने 5वें दोषी को 21 दिसंबर, 2012 को गिरफ्तार किया था जोकि नबालिग था. जबकि 6वें दोषी अक्षय ठाकुर को दिल्ली पुलिस ने बिहार से गिरफ्तार किया था.
जेल में बंद आरोपी बस चालक ने की थी आत्महत्या
निर्भया के छह दोषियों में से एक दोषी बस चालक राम सिंह ने 11 मार्च, 2013 को तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी. जबकि एक दोषी घटना के दौरान नबालिग होने के कारण लगभग 3 साल तक बाल सुधार केंद्र में रखा गया था, जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया.
7 साल और 3 महीने बाद मिला निर्भया को इंसाफ
इस कांड के बाद हर देशवासी उसी दिन का इंतेजार कर रहा था, जब निर्भया को इंसाफ मिले. निर्भया के साथ दरिंदगी की हदें पार करने वाले हैवानों को फांसी पर चढ़ाया जाए और वो दिन आया 20 मार्च 2020 को. इसी दिन निर्भया के चारों आरोपियों को फांसी दी गई. 20 मार्च के सुबह 5.30 बजे मुकेश, विनय और अक्षय और पवन को तिहाड़ जेल नंबर तीन में फांसी के फंदे पर लटकाया गया था. इस इंसाफ को मिलने में करीब-करीब 8 सालों का वक्त लग गया.