New Tax Bill: संसद के बजट सत्र में बुधवार को सरकार ने नया इनकम टैक्स बिल (New Income Tax Bill 2025) पेश किया, जो कि 1961 में बने मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट की जगह लेगा। छह दशकों के बाद टैक्स सिस्टम में यह सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है। नए बिल को ज्यादा सरल, पारदर्शी और टैक्सपेयर-फ्रेंडली बनाने का दावा किया गया है।
इस बिल में कई अहम बदलाव किए गए हैं, जिनमें टैक्स स्लैब में सुधार, ई-केवाईसी अनिवार्यता, टैक्स चोरी पर सख्ती और डिजिटल टैक्स पेमेंट सिस्टम शामिल हैं। आइए जानते हैं इस नए टैक्स बिल की प्रमुख बातें।
नए इनकम टैक्स बिल में पेज हुए कम, भाषा हुई सरल- New Tax Bill
पहले के 1961 इनकम टैक्स एक्ट में 880 पेज थे, लेकिन इसे सरल बनाते हुए नए बिल को 622 पेज का कर दिया गया है। धाराओं की संख्या भी घटाकर 536 कर दी गई है। इसमें 23 अध्याय (चैप्टर) हैं, जिससे इसे आम आदमी के लिए समझना आसान हो सके।
टैक्स ईयर का नया कॉन्सेप्ट
नए इनकम टैक्स बिल में “असेसमेंट ईयर” और “पिछला वर्ष” (Previous Year) के कॉन्सेप्ट को हटाकर केवल “Tax Year” का कॉन्सेप्ट पेश किया गया है।
उदाहरण:
1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 तक की अवधि को टैक्स ईयर 2025-26 कहा जाएगा। इससे टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स भरने की प्रक्रिया ज्यादा आसान हो जाएगी।
टैक्स स्लैब में नहीं हुआ बदलाव, लेकिन स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ा
नया टैक्स बिल पुराने टैक्स स्लैब को ही बरकरार रखता है, लेकिन स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाया गया है। पुराने टैक्स रिजीम में ₹50,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन रहेगा। नए टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया गया है।
टैक्स स्लैब (नए टैक्स रिजीम के तहत)
वार्षिक आय | टैक्स दर |
₹4 लाख तक | कोई टैक्स नहीं |
₹4,00,001 – ₹8 लाख | 5% |
₹8,00,001 – ₹12 लाख | 10% |
₹12,00,001 – ₹16 लाख | 15% |
₹16,00,001 – ₹20 लाख | 20% |
CBDT को मिली अधिक स्वतंत्रता
नए टैक्स बिल में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को अधिक अधिकार दिए गए हैं। पहले नई टैक्स योजनाओं को संसद की मंजूरी लेनी पड़ती थी, लेकिन अब CBDT सीधे नई योजनाएं लागू कर सकेगा। इससे टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन में नौकरशाही की देरी कम होगी।
कैपिटल गेन टैक्स में कोई बदलाव नहीं
– शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की अवधि 12 महीने ही रहेगी।
– शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 20% टैक्स लगेगा।
– लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 12.5% टैक्स बरकरार रहेगा।
पेंशन, एनपीएस और इंश्योरेंस पर टैक्स छूट बरकरार
– पेंशन, NPS कंट्रीब्यूशन और इंश्योरेंस पर टैक्स डिडक्शन जारी रहेगा।
– रिटायरमेंट फंड, ग्रेच्युटी और पीएफ पर भी छूट मिलती रहेगी।
– ELSS म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर भी टैक्स राहत मिलेगी।
टैक्स चोरी पर सख्ती, भारी जुर्माने का प्रावधान
अगर कोई जानबूझकर टैक्स चोरी करता है, तो उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है।
– गलत जानकारी देने पर भारी जुर्माना लगेगा।
– आय छिपाने पर अकाउंट सीज किया जा सकता है।
– टैक्स न चुकाने पर ज्यादा ब्याज और पेनाल्टी लगाई जाएगी।
टैक्स प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए E-KYC अनिवार्य
– नए इनकम टैक्स बिल के तहत E-KYC को अनिवार्य कर दिया गया है।
– टैक्स पेमेंट और ई-फाइलिंग अब पूरी तरह डिजिटल होगी।
– इससे टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता आएगी और टैक्स चोरी पर लगाम लगेगी।
कृषि आय पर छूट जारी रहेगी
– कृषि आय (Agriculture Income) टैक्स-फ्री रहेगी, लेकिन कुछ शर्तों के तहत।
– धार्मिक ट्रस्ट, सामाजिक संस्थाएं और दान में दी गई राशि पर भी टैक्स छूट मिलेगी।
– इलेक्टोरल ट्रस्ट को भी टैक्स से छूट मिलेगी।
टैक्स विवाद कम करने के लिए सरल नियम
– 1961 के टैक्स एक्ट में कई अस्पष्ट प्रावधानों के चलते टैक्सपेयर्स और सरकार के बीच विवाद होते थे।
– नया टैक्स बिल स्पष्ट और सरल भाषा में लिखा गया है, जिससे टैक्सपेयर्स को इसे समझने में आसानी होगी।
– टैक्स विवाद और मुकदमेबाजी की संख्या में कमी आएगी।