NEET Paper Leak Case: नीट पेपर लीक मामले में गिरफ्तार बिहार के संजीव मुखिया ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। आर्थिक अपराध इकाई (EOU), झारखंड पुलिस और सीबीआई की संयुक्त पूछताछ के दौरान संजीव मुखिया ने दावा किया कि उसकी ऊंची राजनीतिक पहुंच है और वह कई सफेदपोश व्यक्तियों से सीधा संपर्क रखता है। संजीव ने यह भी बताया कि उसने कई वरिष्ठ अधिकारियों के बच्चों को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
राजनीतिक पहुंच और व्यक्तिगत लक्ष्य- NEET Paper Leak Case
संजीव मुखिया ने अपनी फरारी के दौरान कई थानों को अपने प्रभाव में लेने का दावा किया और गतिविधियां चलाता रहा। सूत्रों के अनुसार, उसने यह भी बताया कि उसका मुख्य उद्देश्य अपनी पत्नी को राजनीति में ऊंचा मुकाम दिलवाना था। उसने बिहार, झारखंड और अन्य राज्यों में अपनी मजबूत पकड़ का दावा करते हुए कहा कि वह अपनी राजनीतिक और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सक्रिय था।
सफेदपोशों के संपर्क में था संजीव मुखिया
संजीव ने यह खुलासा किया कि उसने बिहार और झारखंड के कई वरिष्ठ अधिकारियों और उनके परिवारों को मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन दिलवाने में मदद की। उसके अनुसार, उसने कई उच्च पदस्थ अधिकारियों और प्रभावशाली लोगों के बच्चों के लिए प्रवेश सुनिश्चित किया था। संजीव का कहना था कि उसकी यह गतिविधि केवल भ्रष्टाचार और राजनीतिक दबाव के कारण चल रही थी।
फरारी के दौरान छिपता रहा संजीव
सूत्रों ने बताया कि संजीव मुखिया फरारी के दौरान बिहार के कई इलाकों में छिपता रहा। वह पटना के पीरबहोर, अगमकुआं, बाढ़ और नालंदा के बिहारशरीफ जैसे इलाकों में अधिकारियों और लाभार्थियों के घरों में छिपा करता था। इन इलाकों में वह अपनी गतिविधियां संचालित करता रहा और फर्जी आइडी का इस्तेमाल करके मोबाइल फोन पर संपर्क बनाए रखता था। यह सब वह बिना किसी शक के किया करता था क्योंकि उसकी राजनीतिक और प्रशासनिक पहुंच मजबूत थी।
पेपर लीक के आरोपों की पुष्टि
संजीव मुखिया ने अपनी पूछताछ में यह स्वीकार किया कि वह NEET पेपर लीक मामले में शामिल था। उसकी टीम पहले से ही परीक्षा आयोजकों और प्रिंटिंग प्रेस से संबंधित जानकारी प्राप्त कर लेती थी। पेपर की छपाई के दौरान प्रश्नपत्र की कॉपी चोरी हो जाती थी, और ट्रांसपोर्टेशन के समय गाड़ियों की सील तोड़ी जाती थी, जिससे पेपर की तस्वीर ली जाती थी। इसके बाद, इन प्रश्नपत्रों को गुप्त स्थानों पर अभ्यर्थियों को रटाया जाता था। संजीव के गैंग की पूरी योजना इसी तरह से काम करती थी।
ह्यूमेन इंटेलिजेंस से पकड़ा गया संजीव
सूत्रों के अनुसार, संजीव मुखिया की लोकेशन ट्रैक करने के लिए ह्यूमेन इंटेलिजेंस की मदद ली गई थी। उसकी तलाश में ईओयू की टीम ने फर्जी आइडी पर सिम कार्ड लिया था और उसी के जरिए उसका मोबाइल ट्रैक किया गया। इसके बाद संजीव को पकड़ने के लिए पुलिस ने विभिन्न इलाकों में रेड डाली थी। अंततः, उसे दानापुर स्थित सगुना मोड़ के आरएन हाइट्स अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया गया। जानकारी के अनुसार, वह नेपाल से लौटने के बाद वहां छिपा हुआ था।
रिमांड और आगे की कार्रवाई
संजीव मुखिया की रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद उसे रविवार रात बेऊर जेल भेज दिया गया। हालांकि, ईओयू ने सोमवार को फिर से रिमांड के लिए कोर्ट में अर्जी दायर करने का निर्णय लिया है। इसके माध्यम से अधिकारियों का उद्देश्य मामले में और जानकारी प्राप्त करना है और इस घोटाले में संलिप्त अन्य लोगों की गिरफ्तारी करना है।