लोकसभा चुनाव 2019 में जीत हासिल कर दोबारा सत्ता में आने वाली बीजेपी सरकार ने पिछले दिनों पहला कैबिनेट विस्तार किया। जिसमें 43 नेताओं ने मंत्री पद का शपथ लिया। मंत्रिमंडल विस्तार से ठीक एक दिन पहले केंद्र सरकार ने एक नया मंत्रालय बनाया।
जिसे सहकारिता मंत्रालय का नाम दिया गया और यह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अधीन काम करेगा। इसी बीच वरिष्ठ नेता और एनसीपी चीफ शरद पवार ने इस मंत्रालय को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा से मंजूर हो चुके कानूनों में दखल लेने का केंद्र सरकार को कोई अधिकार नहीं है।
शरद पवार के निशाने पर मोदी सरकार
बीते दिन रविवार को मीडिया को संबोधित करते हुए शरद पवार ने यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘ऐसी चर्चा हो रही है कि केंद्र सरकार का नया सहकारिता मंत्रालय महाराष्ट्र में सहकारिता आंदोलन की राह में अवरोध खड़ा करेगा। लेकिन ये चर्चा बेकार है क्योंकि संविधान के मुताबिक प्रदेश में सहकारी कानून बनाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।‘
सहकारिता मंत्रालय कोई नया मुद्दा नहीं
एनसीपी चीफ ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा में इसी आधार पर सहकारिता विभाग से संबंधित कानून बनाए गए हैं। केंद्र को इसमें दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मल्टी स्टेट बैंक केंद्र सरकार के दायरे में आते हैं लेकिन सहकारिता मंत्रालय कोई नया मुद्दा नहीं है। जब वो 10 साल तक देश के कृषि मंत्री थे, तब भी ये एक मुद्दा था। ऐसे में बहुराज्य सहकारी संस्थाएं दो दो अलग-अलग राज्यों में संचालित होती हैं, उनका अधिकारी केंद्र सरकार के पास जाने को स्वतंत्र है।‘
कांग्रेस नेता ने भी उठाए सवाल
पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्नथला ने नए सहकारिता मंत्रालय को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने ‘धर्मनिरपेक्ष दलों’ से अपील करते हुए कहा था कि वे इस अहम क्षेत्र का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के लिए बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उठाए गए कदम के खिलाफ एकजुट होकर संयुक्त लड़ाई शुरू करें।
उन्होंने मोदी सरकार के इस कदम को असंवैधानिक और सांप्रदायिक कदम बताया है। बताते चले कि केंद्र सरकार ने सहकार से समृद्धि के सपने को साकार करने के लिए इस मंत्रालय का गठन किया है। गृहमंत्री अमित शाह को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।