पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाई। चुनावी नतीजों की घोषणा के बाद राज्य के कई हिस्सों में हिंसा देखने को मिली थी। तब ममता सरकार ने यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया था कि उस समय राज्य की कानून व्यवस्था चुनाव आयोग के हाथों में थी।
हालांकि, मामला तूल पकड़ता गया और बात कोलकाता हाई कोर्ट तक पहुंच गई। जिसके बाद कोलकाता हाई कोर्ट के 5 न्यायाधीशों की पीठ के निर्देश पर NHRC अध्यक्ष ने एक समिति गठित की। जिसने अब राज्य में चुनाव के बाद की हिंसा पर अपनी सिफारिशों को कलकत्ता हाई कोर्ट में पेश कर दी है। जिसके बाद से बवाल मचा हुआ है।
NHRC ने पेश की रिपोर्ट
खबरों के मुताबिक मानवाधिकार आयोग ने कोलकाता हाई कोर्ट को दिए अपने रिपोर्ट में हिंसा के दौरान हुई हत्या और रेप जैसे जघन्य अपराधों की जांच सीबीआई से कराए जाने की बात कही है। साथ ही इस मामले में मुकदमा राज्य से बाहर चलाए जाने की सिफारिश की है। आयोग ने राज्य में स्थिति को कानून के शासन की जगह शासक के शासन का प्रदर्शन करार दिया है।
NHRC अध्यक्ष द्वारा गठित समिति की ओर से कहा गया कि हिंसक घटनाओं का विश्लेषण पीड़ितों की पीड़ा के प्रति राज्य सरकार की भयावह निष्ठुरता को दर्शाता है। उन्होंने कहा, सत्तारुढ़ पार्टी के समर्थकों द्वारा यह हिंसा मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों को सबक सिखाने के लिए की गई। आयोग ने अपनी सिफारिशों में मुआवजा राशि देने की बात भी कही है।
ममता बनर्जी ने दी प्रतिक्रिया
दूसरी ओर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से पेश किए गए इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि समिति अपने निष्कर्षों को मीडिया को लीक कर बीजेपी के राजनीतिक प्रतिशोध पर चल रही है। यह हैरानी वाली बात है कि समिति राज्य सरकार के मत को संज्ञान में लिए बिना निष्कर्ष पर पहुंच गई।
गौरतलब है कि राज्य में चुनावी नतीजों की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में हिंसा देखने को मिली। खबरों के मुताबिक स्थिति इतनी भयावह हो गई थी कि लोगों को अपना घर तक छोड़कर भागना पड़ा और दूसरी जगह आश्रय लेनी पड़ी। इस मामले की जांच चल रही है और इसे लेकर राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी की ओर से भी लगातार बयानबाजियां की जाती रही है।