यूपी के प्रयागराज में महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की गुत्थी उलझ रही है। महंत की मौत आत्महत्या का मामला है या फिर उनकी हत्या हुई? ये सवाल बना हुआ है। दरअसल, सोमवार को महंत का शव प्रयागराज स्थित मठ में कमरे में लटकता हुआ मिला। साथ में एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ, जिसमें बताया जा रहा है कि महंत नरेंद्र गिरि वसीयतनामा लिखा। साथ ही उन्होंने सुसाइड के पीछे शिष्य आनंद गिरी और कुछ अन्य लोगों को जिम्मेदार भी ठहराया।
इस वक्त महंत नरेंद्र गिरि की मौत का मामला पूरे देश में छाया हुआ है। ऐसे में महंत नरेंद्र गिरि से जुड़ी कुछ बाते जानना जरूरी हो जाता है। तो आइए आपको बताते हैं महंत नरेंद्र गिरि और अखाड़ों से जुड़ी कुछ बड़ी बातों के बारे में…
क्या होते हैं अखाड़ें?
महंत नरेंद्र गिरि प्रयागराज के बाघंबरी मठ के महंत थे। सबसे पहले बात करते हैं कि आखिर ये अखाड़े क्या होते हैं और देश में कुल कितने अखाड़े हैं?
साल 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद बना था। परिषद देश के प्रमुख 13 अखाड़ों की प्रतिनिधि संस्था है। नरेंद्र गिरि इसी परिषद के अध्यक्ष थे। अध्यक्ष के तौर पर उनका ये दूसरा कार्यकाल था।
बात करें अखाड़ों की तो बताया जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने सनातन धर्म की स्थापना की थी, तब बद्रीनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी और द्वारिका पीठ आदि की स्थापना की थी। इन अखाड़ों को मठ कहा जाता है। अभी देश में कुल 13 अखाड़े हैं, जो 3 मतों में बंटे हैं। हिंदू धर्म से जुड़े रीति-रिवाज और त्योहारों का आयोजन ये अखाड़े करते हैं।
कुंभ मेले के दौरान भी अखाड़ों की अहम भूमिका होती है। कौन-सा अखाड़ा कब स्नान करेगा इसका फैसला अखाड़ा परिषद करती है।
कौन थे महंत नरेंद्र गिरि?
अब बात करते हैं महंत नरेंद्र गिरि की, जो प्रयागराज के बाघंबरी मठ के महंत थे। साथ में वो संगम किनारे के मशहूर बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी। थे। वो निरंजनी अखाड़े से के सचिव रह चुके हैं।
राम मंदिर आंदोलन में भी महंत नरेंद्र गिरि ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 2015 में इन्हें सर्वसम्मति से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया। साल 2019 में उनको दोबारा से अध्यक्ष बनाया गया था।
विवादों में भी घिरे रहे नरेंद्र गिरि?
हालांकि वो कई बार विवादों में भी रहे। उनका नाम कई विवादों से जुड़ चुका है। 2012 में सपा नेता महेश नारायण सिंह के साथ उनका विवाद हुआ था। इसके अलावा 2015 में उन्होंने सचिन दत्ता नाम के एक रियल स्टेट व्यवसायी को महामंडलेश्वर की उपाधि दी थी, जिस पर हंगामा खड़ा हुआ।
साथ ही नवंबर 2019 को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव महंत आशीष गिरि की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हुई थी, जिसको लेकर महंत नरेंद्र गिरि पर भी कई सवाल उठे। इसके अलावा उनका शिष्य आनंद गिरि से भी काफी विवाद हुआ। शिष्य आनंद ने उन पर मठ और मंदिर से होने वाली करोड़ों की हेरफेर करने के आरोप लगाए। हालांकि बाद में दोनों के बीच विवाद तब सुलझ गया था, जब शिष्य आनंद गिरी ने पैर में गिरकर माफी मांग ली थीं।
बीजेपी से लेकर सपा,बसपा तक हर पार्टी से महंत नरेंद्र गिरी का रसूख रहा। मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव से उनका काफी लगाव था। वहीं सा2017 से उनकी नजदीकियां बीजेपी सरकार से बढ़ गई थीं। सूबे के मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ खुद एक संत समाज से आते हैं। ऐसे में महंद नरेंद्र गिरि के साथ उनके रिश्ते काफी अच्छे हैं।