सैफई के धरती पैदा होने वाले इस राजनेता ने ऐसे हासिल किया था देश के सबसे बड़े प्रदेश का CM पद
भारतीय राजनीतिज्ञ और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के सैफई में हुआ था। मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और एक बार भारत के रक्षा मंत्री का पद संभाल चुके हैं। सैफई के धरती पैदा होने वाले इस राजनेता के कई सारे ऐसे किस्से हैं जो उनकी ज़िन्दगी से जुड़े हैं।
इस तरह हुई राजीनति में एंट्री
किसान परिवार में जन्मे मुलायम सिंह यादव एक शिक्षक थे. वहीं इस शिक्षण कार्य को छोड़कर वे राजनीति में आये और अपना राजनीतिक अभियान जसवंत नगर विधानसभा सीट से शुरू किया और सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से आगे बढ़े। मंत्री बनने के लिए मुलायम सिंह यादव को 1977 तक का इंतजार करना पड़ा। केन्द्र और उ.प्र. में जनता पार्टी की सरकार बनी और वह राज्य सरकार में मंत्री बनाए गए। इसके बाद चौधरी चरण सिंह की पार्टी लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष बने। इसके बाद वो विधायक का चुनाव लड़े और हार गए। वहीं 1967, 74, 77, 85, 89 में वह विधानसभा के सदस्य रहे। 1982-85 में विधानपरिषद के सदस्य रहे। आठ बार राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे।
इसके बाद मुलायम सिंह पहली बार 5 दिसंबर 1989 को प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 और उसके बाद 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वहीं इसी के साथ साल 1996 में केंद्र में रक्षा मंत्री भी बने. उत्तर प्रदेश की सियासी दुनिया में मुलायम सिंह यादव को प्यार से नेता जी कहा जाता है।
साइकिल से शुरू हुआ चुनाव प्रचार
वर्ष 1967 में जब विधानसभा चुनाव हो रहा था। मुलायम के राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह तब जसवंतनगर के विधायक थे और उन्होंने अपनी सीट से मुलायम को मैदान में उतारने का फैसला लिया। लोहिया से पैरवी की और उनके नाम पर मुहर लग गयी।
मुलायम सिंह जसवंत नगर विधानसभा सीट से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे। वहीं जब उनके नाम की घोषणा हुई उस दिन से मुलायम सिंह चुनाव प्रचार में जुट गये। तब मुलायम के पास प्रचार के लिए कोई संसाधान नहीं था। ऐसे में उनके दोस्त दर्शन सिंह ने उनका साथ दिया. प्रचार के दौरन दर्शन सिंह साइकिल चलाते और मुलायम कैरियर पर पीछे बैठकर गांव-गांव जाते।
वहीं उनके पास पैसे नहीं थे। ऐसे में दोनों लोगों ने मिलकर एक वोट, एक नोट का नारा भी दिया। वे चंदे में एक रुपया मांगते और उसे ब्याज सहित लौटने का वादा भी किया.
गांव के लोगों ने मुलायम के लिए रखा उपवास
वहीं इन चुनाव प्रचार के लिए एक पुरानी अंबेस्डर कार खरीदी गयी लेकिन उनके पास पेट्रोल के पैसे नही थे जिसके बाद मुलायम सिंह के घर बैठक और इस बैठक में कार में तेल भरवाने की बात भी समाने आई. तभी अचानक गांव के सोनेलाल काछी उठे और उन्होंने कहा कि हमारे गांव से पहली बार कोई विधायकी जैसा चुनाव लड़ रहा है। हमें उनके लिए पैसे की कमी नहीं होने देनी है।जिसके बाद गांव के लोगों ने फैसला लिया कि हम हफ्ते में एक दिन एक वक्त खाना खाएंगे। उससे जो अनाज बचेगा, उसे बेचकर अंबेस्डर में तेल भराएंगे। वहीं दर्शन सिंह ने बताया कि कई बार चुनाव प्रचार के समय उनकी गाड़ी कीचड़ में फंस जाया करती थी, तब दोनों लोग मिलकर उसे निकालते थे।
बेटे को बनाया मुख्यमंत्री
साल 2012 के चुनाव में बसपा की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा और विकास के वादों को देखते हुए पूरे प्रदेश को समाजवादी पार्टी समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में पूर्ण बहुमत मिला। तब नेता जी के पुत्र और सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया अखिलेश यादव मुलायम सिंह के पुत्र है। अखिलेश यादव ने नेता जी के बताए गये रास्ते पर चलते हुए उत्तर प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया.
मुलायम ने करी थी दो शादियां
मुलायम सिंह ने दो शादियां करी थी उनकी पहली पत्नी मालती देवी थी जिनका 2003 में निधन हो गया था। वहीं इसके बाद उन्होंने साधना गुप्ता की से शादी करी. वहीं मुलायम के जैसे साधना गुप्ता की भी ये दूसरी शादी थी.
साधना की शादी जूलाई साल 1986 मे फर्रूखाबाद के चंद्रप्रकाश गुप्ता के साथ हुई थी। हालांकि ये शादी ज्यादा दिन नहीं टिक सकी और दोनों अलग हो गए। वहीं इसके बाद साधना तत्कालीन समाजवादी प्रमुख मुलायम सिंह से मिली और कई दिनों तक एक दूसरे से मिलने के बाद दोनों ने शादी करने का फैसला किया.
ऐसा कहा जाता है कि साल 1994 में प्रतीक यादव के स्कूल फॉर्म पर पिता का नाम एमएस यादव और पते में मुलायम सिंह के ऑफिस का पता दिया रहता था।
सीबीआई की जांच वजह से मिला था साधना को पत्नी का दर्जा
2003 में मुलायम की पत्नी के मौत के बाद अमर सिंह ने साधना और मुलायम के रिश्ते को एक बार फिर हवा दी. साल 2007 में मुलायम सिंह यादव ने आय से अधिक सम्पति के मामले में सीबीआई की जांच से बचने के लिए यह स्वीकार किया कि साधना गुप्ता उनकी दूसरी पत्नी हैं और उनका एक पुत्र प्रतीक भी है. इसी के बाद पूरे देश को पता चला कि मुलायम की एक और पत्नी और उनसे एक बेटा है.
आपको बता दें, उत्तर प्रदेश की सियासी दुनिया में मुलायम सिंह यादव को प्यार से नेता जी कहा जाता है और 8 अक्टूबर 2022 म उनका निधन हो गया.