नए कृषि कानून के विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों ने हल्ला बोला हुआ है। देशभर के किसान बीते 2 महीनों से सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं और कृषि कानून को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन हल अब तक कुछ भी नहीं निकल पाया।
तीन रूट पर रैली की मिली इजाजत
26 जनवरी यानी रिपब्लिक डे के दिन किसान ट्रैक्टर रैली निकालने जा रहे हैं। रविवार को दिल्ली पुलिस ने किसानों को तीन रूट पर रैली निकालने की मंजूरी दी। राजपथ पर परेड खत्म होने के बाद किसान टिकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर से ट्रैक्टर दिल्ली में प्रवेश करेंगे। किसान टिकरी से 63 किमी, सिंघु से 62 किमी और गाजीपुर बॉर्डर से 46 किमी तक रैली निकाल सकेंगे।
दिल्ली पुलिस को मिले गड़बड़ी फैलाने के इनपुट्स
लेकिन किसानों की इस ट्रैक्टर रैली को शांतिपूर्ण ढंग से कराना दिल्ली पुलिस के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। ये दावा खुद दिल्ली पुलिस द्वारा ही किया गया है। दरअसल, दिल्ली पुलिस ने रैली में पाकिस्तान द्वारा गड़बड़ी फैलाने की साजिश रचने की आशंका जताई है।
दिल्ली पुलिस की तरफ से बताया गया कि उनको ऐसे इंटेलिजेंस इनपुट मिले हैं कि पाकिस्तानी आतंकी संगठन ट्रैक्टर रैली में गड़बड़ी फैला सकते हैं। पुलिस की ओर से दावा किया गया कि हाल में ही 300 से भी ज्यादा ट्विटर अकाउंट इसके लिए बनाए गए है।
पाकिस्तान में बने 308 नए ट्विटर अकाउंट
दिल्ली पुलिस के इंटेलिजेंस स्पेशल कमिश्नर दीपेंद्र पाठक ने बताया कि ट्रैक्टर रैली को बाधित करने के लिए काफी सारे इनपुट मिले थे। सोशल मीडिया पर हमने नजर बनाए रखीं। 13 से 18 जनवरी के बीच रैली को बाधित करने के लिए पाकिस्तान से 308 नए ट्विटर अकाउंटर बनाए गए। इस रैली के दौरान हिंसा करने की साजिश रची जा रही है।
दीपेंद्र पाठक ने आगे कहा कि सुरक्षा के साथ ट्रैक्टर रैली कराई जाएगी। ये दिल्ली पुलिस के चुनौतीपूर्ण होगा। 26 जनवरी को परेड खत्म होने के बाद ही किसानों की रैली शुरू होगी।
गौरतलब है कि किसानों का आंदोलन लगातार चर्चाओं का विषय बना हुआ है। जहां एक तरफ केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को किसानों के हित में बताती हैं। वहीं कानूनों को लेकर किसानों में कई तरह के डर बने हुए है, जिसके चलते वो इसे वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर दखल देते हुए एक कमेटी भी बनाई, लेकिन विवाद अब तक सुलझ नहीं पाया।
केंद्र सरकार इस विवाद को सुलझाने के लिए किसानों को अब तक कई ऑफर दे चुकी हैं, लेकिन किसानों ने उन सभी को ठुकरा दिया और कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। भीषण ठंड के बीच किसान बीते साल नवंबर महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर जमे हुए हैं। इसी बीच किसानों के इस आंदोलन की आड़ में साजिश रचने के आरोप भी लगातार लगते आ रहे है। देखना होगा कि किसानों को ये आंदोलन आगे क्या मोड़ लेता है…?