देश में बिना कागजी कार्यवाई और मिनटों में मोबाइल ऐप से ऑनलाइन लोन लेने का चलन बढ़ रहा है. हजारों मोबाइल ऐप ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन लेने के लुभावने ऑफर देती रहती है. कभी कभी तो इन कंपनियों के चंगुल में फंस उपभोक्ता ब्याज दर चुकाते चुकाते अनुचित कदम उठाने पर मजबूर हो जाता है, किसी कई घटनाएं देखने में सामने आ चुकी है.
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लोन ऐप पर वित्त मंत्री सख्त
इन फर्जी लोन ऐप पर शिकंजा कसने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने सख्त रुख अपनाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक समेत वित्तीय क्षेत्रों में कार्य कर रही कंपनियों को ऑनलाइन माध्यम से अनधिकृत कर्ज वितरण के प्रसार पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने को कहा है. निर्मला सीतारमन ने वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद की 28 वीं बैठक के दौरान उन्होंने वित्तीय नियामकों से घरेलू और वैश्विक व्यापक स्थिति के मद्देनजर वित्तीय स्थिरता जोखिमों का पता लगाने के लिए सक्रिय रहने को कहा है.
बैंकिग रेगुलेटरी सिस्टम से बाहर ऐप पर बैन
ऑनलाइन माध्यम से फैले इंस्टेंट लोन ऐप के जाल को तोड़ने के लिए आरबीआई एक सिस्टम तैयार कर रही है.इससे जो भी लोन ऐप बैंकिंग रेगुलेटरी सिस्टम से बाहर कर्ज बांटने का काम कर रहा है उन्हे इनएक्टिव कर दिया जाएगा. जानकारी के मुताबिक आरबीआई ने कुछ समय पूर्व बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को उनके ऐप लिस्ट सौंपने का निर्देश दिया था, जिसे RBI ने फाइनेंस मिनिस्ट्री को दे दिया था. उसके बाद कई डिजिटल माध्यम से लोन देने वाली ऐप पर कानूनी कार्यवाई भी हुई थी. लेकिन कुछ समय बाद ही मार्केट में इन फर्जी लोन ऐप की भरमार हो गई है.
आरबीआई ने कई बार लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमे कहा गया कि उपभोक्ता रजिस्टर्ड लोन ऐप से ही लोन लें. लेकिन जरूरतमंद व्यक्ति इन ऐप्स के चंगुल में फंस जाते है. ऐसे में फाइनेंस कंपनी के रिकवरी एजेंट ग्राहकों से मनचाहा ब्याज वसूलने के साथ मानसिक टॉर्चर भी करते हैं. आरबीआई ने 2017 में भी कई फर्जी लोन ऐप पर पाबंदी लगाने की कार्रवाई कर चुका है.
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