उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनावी शंखनाथ बज गया। आज यानी शनिवार को चुनाव आयोग (Election Commission) ने पांचों राज्यों की चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। चुनाव की तारीखों (Election Dates) की घोषणा होते ही इन पांचों राज्यों में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) भी लागू हो गई, जिनका सभी पार्टियों प्रत्याशियों और चुनाव से संबंधित क्षेत्र के लोगों को पालन करना होगा।
चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से हो इसके लिए ये आदर्श आचार संहिता बनाई गई है, जिसका पालन सभी राजनीतिक पार्टियां करती हैं। जब भी कहीं चुनाव होते हैं और चुनाव आयोग की तरफ से तारीखों की घोषणा की जाती है, तो आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। वहीं ये चुनाव के रिजल्ट आने पर खत्म होती है।
वहीं आचार संहिता के उल्लंघन पर कार्रवाई की जा सकती है, जो कई तरह की हो सकती है। आदर्श आचार संहिता के दौरान ऐसे कई कामों पर रोक लगा दी जाती है, जिससे कि वोट प्रभावित हो।
जैसे कि इस दौरान चुनावी राज्य में किसी भी तरह के सार्वजनिक उद्घाटन या शिलान्यास बंद हो जाते है। इसके अलावा नए कामों की स्वीकृति भी नहीं दी जा सकती। सरकारी घोषणा पर रोक लग जाती है।
साथ ही सरकार अपनी उपलब्धियों वाले होर्डिंग्स नहीं लगा सकती। सरकारी धन का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल या नेता को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं किया जा सकता। वहीं सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल भी चुनाव प्रचार के लिए नहीं हो सकता। कोइ भी नेता किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांग सकता।
सरकार का कोई भी मंत्री, विधायक यहां तक कि मुख्यमंत्री भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल किसी भी अधिकारी से नहीं मिल सकता। सरकारी वाहनों में सायरन वाली कार का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
आचार संहिता में सरकार किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं कर सकती। जरूरी ट्रांसफर या पोस्टिंग जरूरी के लिए आयोग की अनुमति लेनी होगी। मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या किसी भी धार्मिक स्थल का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं हो सकता।
अगर कोई भी प्रत्याशी आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो उसके प्रचार पर रोक लगाई जा सकती है। उल्लंघन करने पर प्रत्याशी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है। इतना ही नहीं, जेल जाने का प्रावधान भी है।