जम्मू-कश्मीर के हालात एक बार फिर से टेंशन बढ़ा रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या 90 वाला वो डरावना दौर एक बार फिर से कश्मीर में लौट रहा है? क्या फिर एक बार कश्मीर में गैर मुस्लिमों और अल्पसंख्यकों को निकालने की साजिश हो रही है?
आतंकियों के निशाने पर आम लोग!
दरअसल, ये सवाल इसलिए उठाए जा रहे हैं क्योंकि कुछ दिनों से कश्मीर में आतंकी घटनाओं में इजाफा देखने को मिला है। कश्मीर में शांति के माहौल को आतंकी लगातार बिगाड़ने की कोशिश में हैं। इसके लिए वो आम लोगों को निशाना बना रहे है। बीते दिनों आतंकियों ने एक के बाद एक कई आम लोगों की हत्याएं की। महज 5 दिनों में 7 लोगों को मारा गया था।
टारगेट किलिंग के बाद घाटी में दहशत का माहौल
ऐसा माना जा रहा है कि कश्मीर में आतंकवादी गैर मुस्लिमों को टारगेट कर रहे हैं। उनकी पहचान कर उन्हें मारा जा रहा है। हाल ही में आतंकियों के निशाने पर श्रीनगर का एक स्कूल भी आया था। यहां स्कूल के प्रिसिंपल और टीचर की गोली मारकर हत्या की गई। बताया गया कि आतंकियों ने पहले प्रिसिंपल और टीचर की अलग पहचान की थीं और इसके बाद उनको गोली मारी। इसके अलावा बीते दिनों एक मशहूर केमिस्ट माखन लाल बिंदरू भी आतंकियों के निशाने पर आए। वो कश्मीरी पंडित थे, जो 90 के दौरान भी कश्मीर नहीं छोड़कर गए थे।
फिर पलायन की हो रही तैयारी?
इस घटनाओं के बाद एक बार फिर से घाटी में डर का माहौल बनने लगा है। इस बीच सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या आतंकी अपने नापाक मंसूबों में कामयाब हो रहे है? ऐसा इसलिए क्योंकि एक बार फिर से कश्मीर से पलायन शुरू होने लगा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोग कश्मीर से जान बचाकर अब जम्मू की ओर भागने लगे हैं। शिक्षकों समेत अन्य सरकारी कर्मचारी जम्मू आ रहे हैं। साथ ही कुछ ने घाटी से बाहर ट्रांसफर की मांग भी की है।
बढ़ती घटनाओं को लेकर सरकार क्या कर रही?
हालांकि कश्मीर में एक बार फिर से बढ़ती आतंकी घटनाओं को लेकर सरकार भी सख्त है। इसी महीने हुई टारगेट किलिंग के मद्देनगर सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ा दिया गया। वहीं आतंकवादियों को पकड़ने के लिए पूरे कश्मीर में छापेमारी चल रही है। NIA ने कश्मीर की 16 जगहों पर छापेमारी की और इस दौरान 500 से भी ज्यादा युवाओं को हिरासत में लिया, जिसमें कई पत्थरबाज भी शामिल हैं।
घाटी के सभी संवेदनशील जगहों पर तो सुरक्षा बढ़ा ही दी है। साथ ही उन कॉलोनियों में जहां अल्पसंख्यक रहते हैं, वहां भी सुरक्षा व्यवस्था के इंतेजाम को सख्त किया गया। कुछ नाके भी बढ़ाए गए, जहां हर व्यक्ति की तलाशी ली जा रही है। साथ ही सरकार ने कश्मीर में डर के माहौल को देखते हुए गैर मुस्लिमों को 10 दिनों की आधिकारिक छुट्टी भी दे दी है।
कश्मीर में बढ़ती आतंकी घटनाओं को लेकर दिल्ली में भी हलचल बढ़ी हुई है। इसको लेकर हाल ही में गृह मंत्री अमति शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ कश्मीर को लेकर उच्चस्तरीय बैठक की थी। जिस दौरान हिंदुओं और सिखों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए गए थे।
वहीं अब कश्मीर के हालात आगे आने वाले दिनों में कैसे होते हैं, ये देखने वाली बात होगी। क्या सरकार आतंकियों पर शिकंजा कसने में कामयाब होती है? या फिर आतंकियों के डर से अल्पसंख्यकों को फिर से घाटी छोड़ने को मजबूर होना पड़ेगा? ये तो आगे आने वाले वक्त में ही पता चल पाएगा।