आजकल ऐसे बहुत से युवा हैं जो नौकरी और बेहतर जीवन जीने की तलाश में अपनी मातृभूमि, अपने देश, अपने पंजाब को छोड़कर विदेशों में जा रहे हैं, लेकिन इनमें एक ऐसा भी शख्स है जो फ्रांस जैसे समृद्ध देश को छोड़कर पंजाब आया और वहीं बस गया। इतना ही नहीं, पंजाब आकर उसने सिख धर्म अपना लिया और अब पंजाब में रहकर खेती कर रहा है। दरअसल हम बात कर रहे हैं रोपड़ जिले के नूरपुर बेदी के 62 वर्षीय सिख दर्शन सिंह रुडेल की, जिन्हें पिछले 22 सालों से अपने राज्य में जैविक खेती करने के लिए हाल ही में सम्मानित किया गया।
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फ्रांस से भारत घूमने आए थे दर्शन सिंह
रुडेल मूल रूप से फ्रांसीसी नागरिक थे, उनका असली नाम भी मिशेल रुडेल है, उनका जन्म फ्रांस के एक ईसाई परिवार में हुआ था। एक बार वे भारत घूमने आए तो उन्हें यहां की जीवनशैली बेहद पसंद आई, इतना ही नहीं वे यहां के पंजाब से भी बेहद प्रभावित हुए। इसके बाद 1997 में वे भारत के पंजाब में खालसा की जन्मस्थली आनंदपुर साहिब में अमृतधारी सिख बन गए। यहीं पर उन्होंने मलविंदर कौर से विवाह किया, जो नंगल के एक कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाती हैं। तब से यह जोड़ा नूरपुर बेदी में रह रहा है, जहां वे अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए जैविक खेती कर रहे हैं। पेशे से खेती करने के साथ-साथ रुडेल ने खेती से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर लोगों की मदद भी की है। दर्शन सिंह ने अपने खेत का नाम रज़ा फार्म रखा है, हालांकि लोग इसे अंग्रेज़ का फार्म या गोरे दा फार्म कहते हैं।
फ्रांस की नागरिकता त्याग चुके हैं दर्शन सिंह
बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में दर्शन सिंह बताते हैं कि जब वे पंजाब आए तो उन्हें सिख धर्म से प्यार हो गया और वे जीवन भर इसी धर्म का पालन करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इसके लिए अपनी राष्ट्रीयता बदलने का फैसला किया। 1995 में उन्होंने अपना नाम मिशेल रुडेल से बदलकर दर्शन सिंह रुडेल रखने के लिए फ्रांस की अदालत में अर्जी दी। लेकिन उनका आवेदन खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने फ्रांस की नागरिकता त्याग दी और ब्रिटिश नागरिक बन गए। ब्रिटेन ने उन्हें उनके नए नाम – दर्शन सिंह रुडेल के साथ पासपोर्ट जारी किया।
दर्शन सिंह रुडेल सिख धर्म के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करते हैं और अपने नए धर्म से उनका गहरा लगाव है। उन्होंने अपने घर के बाहर एक संदेश भी लिखवाया है, जिसमें लिखा है ‘नशे में लोगों का घर में प्रवेश वर्जित है।’
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